Book Title: Angakaradi Laghu Bruhad Vishayanukramau
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

Previous | Next

Page 164
________________ Dilhiकाजामालिनाक्रतिनिDि gN! !!!]Lངjpལས42ལ་བLyངས།uTINUIDIJIDUIJ>ལསརyངnལn श्रीजैनानंदपुस्तकालीयविक्रेयपुस्तकानि / दशवैकालिकचूर्णिः 4-0-0 | बारसासूत्र सचित्रं 12-0-0 / बुद्धिसागरः 0-3-0 उत्तराध्ययनचूर्णिः 3-8-0 | ऋषिभाषितानि | विशेषावश्यकटीका (भागद्वयं) 11-0-0 पंचाशकादिशास्त्राष्टकं 4-0-0 | प्रत्याख्यान, सारस्वतवि०॥ भवभावनावृत्तिः पूर्वार्ध 3-8-0 350, 150, 125 स्तवनानि 0-8-0 विशेषणवती वीशवीशी / 1-4-0 कल्पकौमुदी 2-0-0 पंचाशकादिदशअकारादिः विशेषावश्यकगाथाक्रमादि 0-5-0 षोडशकप्रकरणं सटीक 1-0-0 ज्योतिष्करंडका सटीकः 3-0-0 | ललितविस्तरा 0-10-0 षडावश्यकसूत्राणि पंचवस्तुकः सटीक: तत्त्वतरंगिणी उत्पादादिसिद्धिः 2-81 क्षेत्रलोकप्रकाशः 2-8-0 | बृहत्सिद्धप्रभाव्याकरणं 2-8-0 तत्त्वार्थकर्तृसमीक्षा . युक्तिप्रबोधः स्वोपज्ञः 1-12-0 मध्यम 0-8-0 सुबोधिका विचाररत्नाकरः 3-0-0 | आचारांगसूत्रवृत्तिः (भागद्वयं) 7-0-0 भगवतीवृत्ति (अभयदेवीया) वन्दारुवृत्तिः 1-4-0 भगवतीजीदानशेखरसूरिटीका 5-0-0 भवभावना ( उत्तरार्ध) पयरणसंदोहो पुष्पमाला मल० हेम० स्वोपज्ञा 6-0-0 प्रव्रज्याविधानवृत्तिः अहिंसाष्टकसर्वज्ञसिद्धिऐन्द्रस्तुति 0-8-0 | तत्त्वार्थटीका हारिभद्रीया 6-0-0 | प्रवचनपरीक्षा नवपदप्रकरणबृहवृत्तिः 4-0-0 / पर्युषणादशशतकं 010-0 -प्राप्तिस्थान:संवत् 1993 पोष शुद 1. सुरत-श्री जैनानंदपुस्तकालय, गोपीपुरा सुरत. पालीताणा-मास्तर कुंवरजी दामजी, मोती कडीयानी मेडी. प्रेसमां

Loading...

Page Navigation
1 ... 162 163 164