Book Title: Agam Ke Panno Me Jain Muni Jivan
Author(s): Gunvallabhsagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 31
________________ छोडकर बाकी सब घी का त्याग. (१३) वस्थु-स्वस्तिक और (दूधी) मंडुस्किय (दूधी के अलावा अन्य सब्जीयाँ का त्याग) १४) बारीश के पानी के अलावा अन्य सभी जल का त्याग और १५) इलायची-लविंग -कपूर-कककोल और जायफल से बनी सुगंधी तांबुल (मुखवास) को छोडकर सब मुखवास का त्याग। १४९) आनंद श्रावक ने १२ व्रत स्वीकारने के बाद पंदरावे वर्ष के मध्य में अपने बडे पुत्र को घर-परिवार-कुल का कारोबार (व्यवहार) सोप दीया और उसे कहां अब में विशेष रुप से धर्मध्यानमे प्रवृत्त हो रहा हुँ इसलिए अब तुम मुझे इन सब संबंधी चीजो में कुछ न पुछना - कुछ न कहेना। १५०) जो सत्य भी यदि दुसरो के लीए घातक हो या उनके आर्तध्यान का निमित्त हो, संयम का बाधक या लोकनिंदनीय हो तो वह सत्य भी नही बोलना चाहिए । मौन रहेना चाहिए। ८. अंतकृत दशांग सूत्र १५१) ६ महिने के दिक्षा पर्याय के अंत में १५ दिन का संथारा (अनशन) लेकर मुनि अर्जुनमाली मोक्ष में गए। १५२) राजगृही नगरी की बहार आया हुआ विपुलाचल पर्वत पर से अईमुत्ता के जैसे असंख्य मुनि मोक्ष में गए है।

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