Book Title: Agam Ke Panno Me Jain Muni Jivan
Author(s): Gunvallabhsagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust

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Page 34
________________ १६. चोर को शीतल जल आदि प्रवाही पदार्थ देना । १७. चोरी करके लाए हुए सामान को बांधने के लिए रस्सी आदि सामाग्रीयाँ देना यह सब चोरी के प्रकार है । यहाँ एक बात ध्यान रहे की अगर यह सब जानबुज के सब पता होने पर भी यदि करे तो चोरी है, लेकिन अनजान पने से या अज्ञानता से करे तो निरअपराधी है । १६०) साध्वीजी के शील का घातक, मंदिर के देवद्रव्य (धन) का भक्षण करनेवाला, जिनप्रवचन का उत्सूत्र प्ररुपक (निंदक) और मुनि हत्या करनेवाला जीव अपने बोधिबीज को जलाकर दुर्लभ बोध और अनंत संसारी बनता है । १६१) अति विषय लालसा से परस्त्री गमन या परपुरुष गमन करनेवाले जीव दुसरे भव में 'नपुंसकपणे' को प्राप्त करते है । १६२) ज्यादा जल्दी भी नहीं और ज्यादा धीरे भी नहीं - इस प्रकार आहार खाना चाहिये । १६३) प्रश्न - संख्या दतिक गोचरी यानि क्या ? उत्तर - एक बार पात्रे में आहार डालना यानि - एक दत्ति. इस प्रकार ५-८-१०-१५ - २० संख्या का धारा हुआ प्रमाण मुताबिक पात्रें में आहार लेकर वापरना यानि दत्तिक गोचरी । संकट - विघ्न १६४) सत्यवादी के व्रत सत्य के प्रभाव से आये हुए आपतियाँ भी दूर हो जाती है, उस समय देवता आ सत्यवादी की सहायता - रक्षण करते है । १६५) जो थोडासा भी भयभीत है, उसे ही भूत-प्रेत आदि परेशान करते है, जो अभय निर्भय है, उसे नहीं । 30

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