Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 15
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू०१ चन्द्रसूर्यादिग्रहविशेषानां संख्यानिरूपणम् ३ अनागतकाले तापयिष्यन्ति, यथा वर्तमानकाले तापयन्ति, तथा अनागतकाले पि स्वात्मव्य. तिरिक्तपदार्थजातं स्वतापेन तापयिष्यन्ति, आतपनामकर्मोदयात् सूर्यमण्डलानां तापकत्वं भवति उष्णस्पर्शी हि प्रकाशस्तापशब्देन लोके व्यवहियते इति । तथा 'केवइया णक्खत्ता जोगं जोइंसु' कियन्ति कियत्संख्यकानि नक्षत्राणि अश्विनी भरणीकृतिकाप्रभृतिकानि योगं युञ्जन्ति अतीतकाले, तत्र योगो नाम स्वयं नियतमण्डलचरणशीलत्वेपि अनियतानेकमण्डलसंचरिष्णुभिः स्वकीय मण्लमागतैहैः सह संबन्धविशेष: तादृशं योगमतीतकाले नक्षत्राणि संपादितवंति तथा 'जोगं जोयंति' योग संबन्धविशेषं वर्तमानकाले युञ्जति प्राप्नुवति तथा 'जोगं जोइस्संति' तथा अनागतकाले योग संबन्धविशेष नक्षत्राणि योक्ष्यन्ति प्राप्स्यन्ति । तथा 'केवइया महग्गहा चारं चरिसु' कियन्तः कियत्संख्यका महामंगलकादयः चारं मण्डलक्षेत्रपरिभ्रमणलक्षणमतीतकालेऽचरत् अनुभूतवन्तः तथा 'चारं चरंति' वर्तमानकाले ते भौमादयो महाग्रहाः चारं मण्डलक्षेत्रपरिभ्रमणलक्षणं चरंति, 'चरिस्सति' चरिष्यति भौमादयो महाग्रहाः अनागतकाले मण्डलपरिभ्रमणलक्षणं चारं चरिष्यन्त्यनुभविष्यन्ति किम् । सूर्य आतप प्रदान करते हैं ? और भविष्यत् काल में कितने सूर्य आतप देंगे? 'केवइया नक्खत्ता जोगं जोइंसु जोअंति, जोइस्संति' कितने नक्षत्रों ने अश्विनी भरिणी कृत्तिका आदि नक्षत्रों ने-योग सम्बन्ध विशेष प्राप्त किया हैस्वयं नियत मंडलचरणशीलता होने पर भी अनियत अनेक मंडलों पर चलने के स्वभाव वाले ऐसे अपने मंडल पर आगत ग्रहों के साथ उन्हों ने सम्बन्ध विशेष रूप योग को अतीतकाल में प्राप्त किया है। वर्तमान में ऐसे योगको कितने नक्षत्र प्राप्त करते हैं ? और भविष्यत्काल में ऐसे योगको कितने नक्षत्र प्राप्त करेंगे ? केवइया महग्गहा चारं चरिंसु' तथा-कितने महाग्रहों ने-मंगल आदि महाग्रहोंने-मण्डलक्षेत्र पर परिभ्रमण रूप चारको अतीतकाल में आचारित किया है ? वर्तमानकाल में कितने महाग्रह चार का आचरण करते हैं ? जोर भविष्यत् काल में कितने महाग्रह चार का आचरण करे गे ? यद्यपि समस्त થયા છે? વર્તમાનકાળમાં કેટલા સૂર્યો આપપ્રદાન કરે છે? અને ભવિષ્યકાળમાં કેટલા सूर्या मात५हान ४२शे ? 'केवइया नक्खत्ता जोगं जोइंसु जोअंति, जोइस्संति' ८९ નક્ષત્રોએ અશ્વિની, ભરિણું કૃત્તિકા વગેરે નક્ષત્રોએ–ગ સંબંધ–વિશેષ પ્રાપ્ત કરેલ છે? સ્વયં નિયત મંડળચરણ શીલતા હોવા છતાંએ અનિયત અનેક મંડલે ઉપર ચાલવાના સ્વભાવવાળા એવા પિતાના મંડળ ઉપર આવેલા ગ્રહોની સાથે તેમણે સંબંધ વિશેષ રૂપ ગને અતીતકાળમાં પ્રાપ્ત કર્યો છે? વર્તમાનકાળમાં એવા યુગને કેટલા નક્ષત્ર પ્રાપ્ત ४॥ २॥ छ ? भने लविष्यत् सभा मेवा योगन खा नक्षत्री प्रात ४२N १ 'केवइया महगगहा चारं चरिंसु' तेम ४८९॥ महाहाय-1 वगेरे भइहाय-31 क्षेत्र ५२ પરિભ્રમણ રૂ૫ ચારને અતીતકાળમાં આચરિત કરેલ છે? વર્તમાનકાળમાં કેટલા મહાગ્રહ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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