Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः |विशिष्टशब्दा: सूत्राङ्काः अद्दीणसत्तु
१५७ अपसत्थविहायगइणामं २८ (१) | अभिइवजेहिं २७ (१) अद्धनारायसंघयण १५५ अपसिणसतं
१४५ अभिचंद ३० (१),१०९,१५७ अद्धभरहसामी
१५८ अपस्समाणो __ ३० (१) अभिज्जा अद्धमागधा ३४ अपुणरावत्तयं १ (२) अभीजि
९ (२) अद्धमास
१ (७) अपुरोहिता २४ (१) अभिणिवड्माण २७ (१) अद्धासमए १४९ अप्पडिपूयए ३० (१) अभिनंदण
१०५ अधम्म अप्पडिहतवरणाण
| अभिनिवुड्ढेत्ता ७८, ९८ अधम्मत्थिकाय ५ (१)। दसणधर
| अभियाईया
७ (२) अधिकरण २० (१) अप्पणो ३० (१)| अभिरूवा
१५० अनियट्टिबायर १४ (१) अप्पतिट्ठाण ३३ (२), ८४ | अभिवड्ढिए ३१ (१) अनियणा १० (२) अप्पप्पणो
३४ अभिसंजायति अपइट्ठाण १ (४) अप्पमत्तसंजत १४ (१) अभिसेया
१४७ अपच्चक्खाणकसाए १६ (१), अप्पमात
३६ | अभीइणक्खत्ते ३ (२) २१ (१) अप्पमाद ५ (१), ३२ (१) | अभीजिणक्खत्त ९ (२) अपच्छिममारणंतियायसंलेह- अप्पमायजोगो १४३ अभीजियाइया ९ (२) णाज्झोसणाहिं १४२ अप्पिया
१५५ अभूएणं अपज्जत्तए २५ (१) अबंभयारी ३० (१) |अमच्छरा
१५८ अप्पज्जत्तग १५१ | अबहुस्सुए
अमणावा
१५५ अपज्जत्तणाम
९ (२) अमणुण्णा
१५५ अपजत्तयणाम २५ (१) अबाहूणिया
७० | अमणुस्सआहारयसरीर १५२ अपज्जत्तया १४ (१) अब्भंतर ६ (१), ९६, १५२ अमम
१५८ अपडिवाती १५२ अभंतरपुक्खरद्ध . ७२ | अमयरसरसोवमं
१५७ अपतिट्ठाण
१४९ अब्भहियं रायतेयलच्छीए १५८ | अमर-नर-तिरियअपमज्जणाअसंजम १७ (१) अब्भुग्गयमूसियपहसिया १५० निरयगतिगमणविविहअपमज्जितचारि २० (१) अब्भुट्ठाण १२ (१)| परियटणाणयोगे अपराइय १५८ अब्भुवगमुवक्कमिया १५३ अमसणा
१५८ अपराजित ३१ (२), ३२ (३), अब्भुवगयवच्छला १५८ अमावासा ३३ (२), ३७ अभयकर
१५७ अम्मया
१५८ अपराजिय ५५, १५७, १४९, अभयदय
१ (२) अम्मापितरो १४१, १४२, _१५१, १५८ अभवसिद्धिया २६ (१), १४८ १४३, १४४, १४६ अपरातिय १५७, १५८ अभावा
१४८ अयमीणे
८८, ९८
३० (१)
३० (१)
४२ | अबाहात
१४७
६२
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