Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 451
________________ २० १३८ समक्षयाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः थंभ ५२ दंसणसावए ११ (१) दव्वगुणखेत्तकालपज्जवदेसपरिथणियं ७६, १४९ | दंसणायार १३६ | णामजहत्थिभावअणुगमथणियकुमार १५५ दंसणावरण-नामाणं निक्खेवणयप्पमाणसुनिउणोवथद्धे ३० (१) सणावरणिज ९ (२)। क्कमविविहप्पकारपाथावर १३६, १३७ | दंसणावरणिज्ज-णामा गडपयंसियाणं १४० थावरणाम ४२ | ऽऽउयाणं ५५ दरिसणिज्जा १५० थिणगिद्धी ३१ (१) |दसमसगफासपरीसह २२ (१) | दस १० (१) थितिकरणकारणाणं दसिज्जति १३६ दस-कप्प-ववहार २६ (१) थिबुयसंठाण १५५ दओभास ४२, ४३, ५२, | दसदसमिया १०० थिरजस १४४ दसद्धवण्णेणं ३४ थिरणाम ४२ दक्खिणकट्ठातो ८८ दसधणू १५८ थिरबंधण १४६ दक्खिणायणनियट्टे ७८ दसरह १५७, १५८ थिराथिराणं २८ (१) दक्खिणाहुत्ती ७४ | दसविह १० (१) थीणगिद्धी ९ (२) दक्खिणिल्ल ९९ | दसविहवत्तव्वयं थीपरिण्णा २३ (१) दगसीम ५२, ८७ | दसारगंडियाओ १४७ थूभियग्गातो १२ (१) दढधणू १५८ | दसारमंडला थेरे ३० (१), ४७, ६५, दढरह १५७ | दसारवंस १५९ ७२, ७४, दढाऊ १५८ दाणंतराइयं १७ (१) ९२, ९५ | दत्त ३५, १५८ दाणंतराए थेरोवघातिए २० (१) दधिमुहपव्वय ६४ दायणे १२ (१) दंड १ (३), २ (१), ३ (१), | दधिवण्ण १५७ | दारुमडे १५८ ३० (१), ९६ दप्प ५२ दारे दंडजुद्ध ७२ | दमतित्थकरुत्तमस्स १४५ | दावद्दवे १९ (१) दंडरयण १४ (१) दमिडलिवि १८ (१) दासऊरिया १८ (१) दंडलक्खण |दयमट्टियं ७२ | दाहिणभरह १२२ दंभे दयसीम ४२, ४३, ५७ | दाहिणड्डमणुस्सखेत्ता दंसण दवदवचारि २० (१) दाहिणदारिया ७ (२) दसणपरीसह २२ (१) | दव्व दाहिणभरहड्ड दसणमोह ३१ (१) दव्व-गुण-खेत्त-काल- दिगिंछापरीसह २२ (१) दसणविराहणा पज्जव __ १३८ | दिट्ठिवाए १ (२), १४७ दंसणसंपण्णया २७ (१)। | दिट्ठिवाते १४७ १५८ ७८, ८३, ३१ (१) ३० (१) ९८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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