Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 553
________________ चित्राणि । १७. समभूतलापृथ्वीस्थानं व्यन्तर-वानव्यन्तरनिकायस्थानानि च समभूतला पृथ्वी स्थान अने पाणव्यंतर, व्यतर्रानकाय स्थान ARRANT समभूतलापृथ्वी स्थान शून्य पृथ्वी पिण्ड वाणव्यता निकाय स्थान ८०यो. ००० व पृथ्वी पिण्णु 4 . निकाय दक्षिण निकाय स्थान उत्तर निकाय १०० या.१८०० योजन- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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