Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 545
________________ चित्राणि । ९. छत्रातिच्छत्राकारेणावस्थितानां सप्तानां नारकपृथ्वीनां स्वरूपम् - छत्रानिछत्र आकारे सात नारकी नुं चित्र --~-समभूतला पृथ्वी रत्नप्रभा नारक १८००० यो. सत्यस्व मरावास ---लोक मध्य शर्कराम्रमा ना. १३२००० यो. पलावन १५लाखन. प्रतर- - वालुकाप्रभा ना १२८००० यो. १०लाखन. प्रतर- - पंकप्रमा ना. १२००००यो. अधोलोक मध्य -धूमप्रभा ना. ११८००० यो. ३लाखन. प्रतर-५ १९९९५ न. प्रतर-३ वमन्यमाना. १६०००यो. ५नरकावास प्रतर-१ तमस्तमप्रमा १०८०००यो. अपावण मरासमप्रमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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