Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४९
६१, ६७ / पट्टणस
९ (१)
२५ (१)
१५ (१)
समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः |विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः पंचमासिया १२ (१) |पज्जत्तनाम २८ (१) पढमावलियाए पंचमीए
पज्जत्तया
१४ (१) पणतालमुहुत्तसंजोगा पंचवण्णा
पज्जवा
१३६ पणतालीसं पंचसंवच्छरिए
पज्जोसविते
७० | पणतीसं पंचसंवच्छरिय पट्टणसहस्सा
पणसं पंचाणउतिं
|पडागमालाउला १५० |पणीताहारविवजणता २५ (१) पंचासं पडातियासंठाणा १५५ | पणिही
३२ (१) पंचिंदिय १४ (१) पडिचारं
७२ पणीयरसभोई पंचिंदियअसंजम १७ (१) पडिबाहिर ____३० (१) | पणुवीसं पंचिंदियतेयसरीर १५२ पडिमा
९२, १४२, पण्णत्तरिं पंचिंदियवेउब्वियसरीर १५२
१४४, १४६ | पण्णरस पंचेंदियजातिनामं २८ (१) पडिमाभिग्गहगहणपालणा १४२ पण्णरसमुहुत्त १५ (२) पंचेंदियसंसारसमावण्णपडिरूव १५०, १५७ | पण्णविजंति
१३६ जीवरासी १४९ पडिलोमाहिं ३० (१) पण्णापरीसह २२ (१) पंजलिउडाओ
|पडिवत्तीतो
१३६ | पण्णासं पंडयवण ९८ पडिवाती १५२ | पण्हाणं
१४५ पंडितमरण
१७ (१) पडिविरयं ३० (१) पण्हावागरण १ (२), १३६, पकुव्वति ३० (१) पडिवूहं
७२
१४५ पक्खं ३३ (१) पडिसत्तू
१५८ | पण्हावागरणदसा १४५ पगडिबंध ४ (१) पडिसाहरति
८ (१) पतिभयकरकरपलीवणा १४६ पच्चक्खयप्पच्चयकरीणं १४५ पडिसुई
१५८ | पत्तगच्छेज्जं
७२ पच्चक्खाण १४ (१), पडिसुणेति
| पत्तच्छेजं २०(१), ३२(१),१४७ पंडिसेवमाणे २१ (१) पत्तेयसरीरणाम २५ (१), ४२ पच्चक्खाणकसाए २१ (१) | पडुच्च
१४ (१) पत्तेयसरीरनामं
२८ (१) पच्चक्खाणकिरिया २३ (१) पढम-चउत्थ-पंचमासु ४३ | पत्थग्गेणं पच्चक्खाणावरण १६ (१) पढम-पंचम-छट्ठी-सत्तमासु ३४ पत्थडे पच्चाहरतो
__३४ | पढम-बितिया ४२, ५५ पदग्ग १३६, १३८, १३९ पच्छन्ने
पढमभिक्खा १५७/पदसतसहस्स
१३९ पच्छा
८ (१) पढमभिक्खादा १५८ पदसहस्स __ १३६, १३७ पज्जत्तगाणं १५१ पढमभिक्खादेय १५७ पदेसबंध
४ (१) पज्जत्तणाम ४२ | पढमसिस्सिणी १५७, १५८ पदेसा
९५
५०
३३ (१)
७२
६२
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