Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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४६
द्वितीयं परिशिष्टम् । श्री समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतानां गाथाङनामकारादिक्रमः । गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः | गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः अइबले ५ महब्बले ६ ३०० अप्पणो य अबोहीए १०२ इसिदिण्णं वयहारिं २९७ अंतोधूमेण मारेइ १०० अबंभयारी जे केइ १०१ | इस्सरेण अदुवा गामेण १०१ अंतो नदंतं मारेइ १०० अबहुस्सुए य जे केइ १०२ ईसादोसेण आइढे १०१ अंबे अंबरिसी चेव ५६ अब्भुवगमुवक्कमिया २७५ उक्खित्तणाए १ संघाडे २ ७२ अंमडे दारुमडे या २९९ अभयकर णिव्वुतिकरी २८८ उग्गाणं भोगाणं २८८ अकुमारभूए जे केइ १०१ अममे णिक्कसाए २९८ उड्डगामी रामा केसव २९७ अक्खीणझंझे पुरिसे १०१ अयले वि जाव २९६ | उत्तरे य २४ दिसाई य २५ ६२ अढतकडा रामा २९७ अरुणप्पभ सूरप्पभ २८७ उदएणक्कम्म मारेति १०० अट्ठारस सोलसगं २५९ अवसेसा तित्थकरा २८८ उदए ७ पेढालपुत्ते य ८ २९८ अणंतरा य आहारे २७६ असच्चवाई णिण्हाई १०० उदितोदितकुलवंसा २८७ अणागयस्स नयवं १०१ असिपत्ते धणु कुम्भे ५६ उदितोदितकुलवंसा अणिदाणकडा रामा २९७ अस्संजलं जिणवसभं २९७ उदितोदितकुलवंसा अणिस्सितोवहाणे य ४ ११६ अस्सग्गीवे जाव २९७ उप्पायपुव्वमग्गेणियं अण्णाणी जिणपूयट्ठी १०३ आगमिस्साण होक्खंति २९८ उवगसंतं पि झपिता १०१ अण्णातता ७ अलोभे य १०३ आगमेसाण होक्खंति ३०१ उवट्ठियं पडिविरयं १०२ अतवस्सिए य जे केइ १०२ आणंदे णंदणे पउमे ३०० उवसंतं च धुयरयं २९७ अतिपासं च सुपासं २९८ आणय-पाणयकप्पे २६० उवहि सुय भत्तपाणे ४३ अत्तदोसोवसंहारे २१ ११६ आतिल्लाण चउण्हं २४९ / उसभस्स पढमभिक्खा २८९ अत्थीणत्थिपवायं ५२ आयरियउवज्झाएहिं १०२ उसभे सुमित्तविजये २९४ अत्थे य ११ सूरियावत्ते ६२ आयरियउवज्झायाणं १०२ | उसभो य विणीताए २८८ अद्दीणसत्तु संखे २८७ आराहणा य मरणंते ११६ उस्सप्पिणि आगमेसाए २९९ अदुवा तुममकासि त्ति १०१ आलोयणा १ निरवलावे २ ११६ | एए वुत्ता चउव्वीसं ३०१ अपराजिये य भीमे ३०० आवंती धुतं विमोहायणं ३० एक्का से गब्भवसही २९७ अपरातिय वीससेणे २८९ | आसीयं बत्तीसं २५९ | एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु २६० अपस्समाणो पस्सामि १०३ इड्डी जुती जसो वण्णो १०३ एक्को भगवं वीरो पासो २८८ अप्पडिपूयए थद्धे १०२. इत्थीविसयगेहीए १०१ एक्को य चउत्थीए २९७ अप्पणो अहिए बाले १०१ | इत्थीहिं गिद्धे वसए १०१ | एक्को य सत्तमाए २९७
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