Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 480
________________ द्वितीयं परिशिष्टम् । ४९ २८७ गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः | गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः गाथार्थम् पृष्ठाङ्कः विजया य वेजयंती २८७ | सम्मदिट्ठी १२ समाही य ११६ | सुग्गीवे दढरहे २८६ विभज्ज मत्थयं फाले सयमेगं उवरिमए २६० | सुजसा सुव्वय अइरा विमलघोसे सुघोसे य २८६ सव्वजगवच्छलाणं २८८ सुपासे सुव्वते अरहा ३०१ विमला य पंचवण्णा २८७ सव्वतित्थाण भेयाय १०२ सुभे य सुभघोसे य २७ विमले उत्तरे अरहा ३०१ सव्वलोयपरे तेणे १०२ सुमंगला जसवती २९४ विस्सनंदी सुबंधू य २९६ सव्वाणंदे य अरहा ३०१ सुमंगले अत्थ सिद्धे य ३०० विस्सभूती पव्वयए २९६ सव्वाणुभूती ५ अरहा २९८ | सुमणा वारुणि सुलसा २९० वोकम्म धम्मओ भंसे १०२ | सव्वे य चक्कजोही ३०० सुमतित्थ णिच्चभत्तेण २८८ वोकसियपेज्जदोसं य २९८ सव्वे वि एगदूसेण २८८ सुयसागरे य अरहा ३०० संगाणं च परिण्णा य ११६ | सव्वेसि पि जिणाणं २८९ सुर-असुरवंदियाणं २८८ संती कुंथू य अरो २९४ सागर समुद्दनामे २९७| | सुरअसुरगरुलमहियाण २९० संभूत सुभद्द सुदंसणे २९७ साले य वद्धमाणस्स २८९ सूरसेणे महासेणे ३०१ संवच्छरेण भिक्खा २८९ | साहारणट्ठा जे केइ १०२ | सूरिते सुदंसणे पउमुत्तर २९४ संवरे १९ अणियट्टी य २९८ | साहाहेउं सहीहेउं १०२ | सूरे सुदंसणे कुंभे २८६ सच्चप्पवायपुव्वं __५२ | सिद्धत्थे पुण्णघोसे य ३०१ सेजंस बंभदत्ते २८८ सच्चसेणे य अरहा ३०१ | सिरिउत्ते सिरिभूती २९९ सेटिं बहुरवं हंता १०१ सच्छत्ता सपडागा २९० | सिरिकंता मरुदेवी २८६ | सेणावई पसत्थारं १०१ सज्झायवायं वयति १०२ | सिरिचंदे पुप्फकेऊ य ३०० | | सेणिय सुपास उदए २९९ सढे नियडीपण्णाणे १०२ सिरिसे य णागरुक्खे २८९ सेला सलिला य समुद्द २१८ सतजले सताऊ य २८६ सीता य दव्व सारीर २७५ सेसाणं परमण्णं सत्तभिसय भरणि अद्दा ५७ | सीया सुदंसणा सुप्पभा २८७ | सेसाणं पुण रुक्खा सत्त विमाणसताई २६० सीसम्मि जे पहणइ १०० सेसेहिं बीयदिवसे २८९ सत्थपरिण्णा लोगविजओ ३० | सीसावेढेण जे केई १०० | सोमे सिरिधरे चेव २७ सप्पी जहा अंडउडं १०१ | सीहरहे मेहरहे २८७ | सोलस तीसा वीस समोसरण सन्निसेज्जा य ४३ | सुंदरबाहू तह दीहबाहु २८७ हत्थो चित्ता य तहा २८९ २९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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