Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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४८
समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतानां गाथार्धानामकारादिक्रमः ।
२८७
गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः | गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः |गाथार्धम्
पृष्ठाङ्कः दायणे य निकाए य ४३ | पढमेत्थ उसभसेणे २९० | भरहे सगरे मघवं २९४ दावद्दवे ११ उदगणाते १२ ७२ पढमेत्थ वतिरणाभे २८७ भिसए य इंद कुंभे २९० दिण्णे य इंददिण्णे २८७ | पढमेत्थ विमलवाहण २८६ | भेदे विसय संठाणे २७१ दिण्णे वरदत्ते धन्ने २८९ | पण्णा चत्तालीसा छच्च २६० | भोगभोगे वियारेति १०१ दिण्णे वाराहे पुण २९० पभू ण कुणई किच्चं १०२ | मंदर जसे अरिढे २९० दीव-दिसा-उदधीणं २६० पयावती य बंभे
२९४ मंदर १ मेरु २ मणोरम ३ ६२ दीव-दिसा-उदहीणं १६९ | पलियंक १५ निसिज्जा य ६९ मत्तंगया य भिंगा ३४ दीवायणे य कण्हे २९९ | पाणिणा संपहित्ताणं १०० | मरुदेवा विजयसेणा दुओणय जहाजायं ४३ / पासो मल्ली वि य अट्ठमेण २८८ | महसीह अग्गिसीहे २९४ दुविठू य ८ तिविठू य ९ ३०० | पियमित्त ललियमित्ते २९६ महापउमे १ सुरादेवे २ २९८ देवई चेव सच्चति २९९ पुणो पुणो पणिहीए १०० महाहरी य विजए य २९४ देवकुरु उत्तरकुरा २८८ पुरतो वहंति देवा २८८ | महुरा जाव हत्थिणपुरं २९७ देवाणंदे अरहा ३०१ पुव्वभवे आसिहं २९७ मिगसिर अद्दा पूसो देवोववाए अरहा २३ २९८ पुव्विं उक्खित्ता २८८ मित्तदामे सुदामे य देवोववाए अरहा
२८९ मित्तवाहणे सुभूमे य धंसेइ जो अभूयेणं १०१ पुहई लक्खण रामा २८७ | मियावती उमा चेव २९५ धम्मज्झए य अरहा ३०० पोग्गला नेव जाणंति २७६ | मुणिसुव्वते य अरहा ११ २९८ धितीमती य १६ संवेगे ११६ | फलेणं अदुव दंडेणं
मेहे धरे पइढे य २८६ नंदिफले १५ अवरकंका ७२ | बंधू पुप्फवती चेव २९० रयणुच्चय ७ पियदसण ८ ६२ नवमो य महापउमो २९४ | बंभी फग्गू सम्मा २९० राया य आससेणे २८६ नेयाउयस्स मग्गस्स १०२ बंभे बारसमे वुत्ते २९४ रिढे बारसमे वुत्ते २९९ निव्वाणगयं च धरं २९७ बत्तीसतिं धणूई २८९ रुद्दोवरुद्द काले य ५६ पउमा सिवा सुयी २९० बत्तीसऽट्ठावीसा बारस २६० रोहिणि सुलसा चेव य २९९ पउमावती य वप्पा २८७ | बहुजणस्स णेयारं १०२ लच्छिमती कुरुमती .. २९४ पउमे य महापउमे २९९ बारस एक्कारसमे २४९ लच्छिमती सेसमती २९५ पउमे य सोमदेवे २८९ बावत्तरिं सुवण्णाण २६० | वंदामि जुत्तिसेणं २९७ पच्चक्खाणे विओसग्गो ११६ बुद्धं च देवसम्म । २९७ वयछक्कं ६ कायछक्कं १२ ६९ पच्चत्थिमेण असुरा २८८ भगवं पि वासुपुज्जो २८८ वाराह धम्मसेणे २९६ पच्छा वहति सीयं २८८ भद्दा सुभद्दा य सुप्पभा २९५ | विउलं विक्खोभइत्ताणं १०१ पढमा होइ सुभद्दा २९४ | भरहे य दीहदंते २९९ | विज्जा अणुप्पवायं
२८६ २९८
३०१
गव्वसू पूर्ण
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