Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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द्वितीयं परिशिष्टम् ।
५२
१०१
गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः | गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः | गाथार्धम् पृष्ठाङ्कः एताई नामाई
२९६ चलचवलकुंडलधरा २८८ |तं तिप्पयंतो भावेति १०२ एतातो सीयातो सव्वेसिं २८८ चारू य वजणाभे २९० | तत्तो किरियविसालं एते खलु पडिसत्तू २९७ | चित्तउत्ते १७ समाही य २९८ | तत्तो पसेणईए
२८६ एते खलु पडिसत्तू ३०० चित्तरसा मणियंगा ३४ | तत्तो य णंदणे खलु
२८७ एते छण्णक्खत्ता ५७ छण्हं पि जुगलयाणं १६९ | तत्तो य धम्मसीहे २८७ एते छनक्खत्ता १३८ | छण्हं पि जुवलयाणं २६० | तत्तो य धम्मसीहे २८८ एते धम्मायरिया २९७ | जं निस्सिए उव्वहती १०१ | तत्तो हवति मिगाली २९९ एते विसुद्धलेसा २८९ जक्खिणी पुप्फचूला य २९० | तस्स लुब्भइ वित्तम्मि एते वुत्ता चउव्वीसं २९८ | जयंती अपरातिया णवमिया २९५ | तस्स संपग्गहीयस्स १०१ एत्तो बलदेवाणं २९६ जयंते विजए भद्दे ३०० तहियं वसुधारातो २८९ एयारिसं नरं हता १०२ | जयनामो य नरवई २९४ तहेवाणतणाणीणं १०२ ओसप्पिणीए एते २८७ जाणमाणो परिसओ १०१ तित्थप्पवत्तयाणं एते २८७ ओहिस्स वड्डी हाणी २७१ जायतेयं समारब्भ १०० |तित्थप्पवत्तयाणं पढमा २९० कक्कसेणे भीमसेणे २८६ जाला तारा मेरा २९४ तित्थप्पवत्तयाणं पढमा २९० कण्हसिरी सूरसिरी २९४ | जियरागमग्गिसेणं वंदे २९८ तिण्णेग पंचूणं २५९ कत्तिय संखे य तहा
जे अंतरायं चेएइ १०१ तिण्णेव गाउयाई २९० कम्मप्पवायपुव्वं ५२ | जे कहाहिगरणाई १०२ तिन्नेव उत्तराई
१३८ कयवम्मा सीहसेणे य २८६ | जे नायगं व रहस्स
तिलए य लोहजंघे ३०० कितिकम्मस्स य करणे ४३ जे य आहम्मिए जोए १०२ तिविठू य जाव २९६ खरस्सरे महाघोसे ५६ | जे य माणुस्सए भोए १०३ तिव्वे सुभ समायरे १०० गद्दभे व्व गवं मझे |जे यावि तसे पाणे १०० तीसा पुण तेरसमे २४९ गावी जुए जाव २९७ झाणसंवर जोगे य ११६ तीसा य पण्णवीसा गूढायारी निगृहेज्जा १०० णंदिरुक्खे तिलए २८९ | तुंबे अ ६ रोहिणी ७ मल्ली ७२ चंदजस चंद [कंता २८६ णंदे य १ णंदमित्ते २ ३०० | तेंदुग पाडलि जंबू २८९ चेदाणणं सुचंदं २९७ ण य णाम अण्णलिंगे २८८ ते चेव खिंसती बाले १०२ चंपय बउले य तहा २८९ णग्गोह सत्तिवणे साले २८९ तेऽतिप्पयंतो आसयति १०३ चउसट्ठी असुराणं २६० णाभी जियसत्तू या २८६ | तेसिं अवण्णिमं बाले १०२ चउसिरं तिगुत्तं ४३ णिच्चोउगो असोगो २८९ तेसिं अवण्णिम बाले १०३ चउहिं सहस्सेहिं २८८ | णिधयो पुरिसज्जाया २१८ दत्ते सुहुमे सुबंधू य २९८ चत्तारि दुवालस अट्ठ २४९ तं कालं तं समयं २८९ । दस चोद्दस अट्ठऽट्ठारसेव २४९
२५९
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