Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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७७
सूर्यप्रज्ञप्ति
पञ्चमं परिशिष्टम् । श्रीसमवायाङ्गसूत्रटीकायां निर्दिष्टानां विशेषनाम्नामकारादिक्रमेण सूचिः । विशेषनाम
पृष्ठाङ्कः विशेषनाम
पृष्ठाङ्कः वर्धमान [स्वामी] १,२,३०८
१५२ वर्धमान[सूरि]
३०९ जीवाभिगम
१५२,१५८ सुधर्म स्वामी] २,४०,३०८ विमल [नाथ]
१४७ महावीर स्वामी] २,३,३५,१३४,१५५, वासुपूज्य
१५२ १७१,१८२,१९२, | अनन्तजित्
१४१,१४२ १९७,३०८ अनन्तनाथ
१४५ जम्बूनामन्
२ वीरनाथ
१३९ स्थान [= स्थानाङ्गसूत्र ८,२९,१४८,१६०, अरनाथ
१२८ १८९,२१८ मल्लिनाथ
१२८ चन्द्रप्रज्ञप्ति २६,९९,१७१ कुन्थुनाथ
११८,१२९,१३०, पर्युषणाकल्प
२९,१३४,२९९ आवश्यक सूत्र
२९,८९,१२८,१३०, । १३९,१४०,१४२, ब्राह्मी[=ऋषभदेवपुत्री] ७१ १४५,१४७,१४९, ब्राह्मी लिपि
७१ १५५,१५६,१६७, मकरसङ्क्रान्ति १७७,१८६,२९९ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
१२१,१६० लोकश्री
निशीथ [भाष्य]
९५,९६,१४८,१८१, लोकाश्रीटीकाकृत् २९
२१२ आचार [=आचाराङ्गसूत्र] ३२,७१,९५,१४२, कौटिल्यशास्त्र
११२ १४७,१७९,१८१, राजप्रश्नकृत
११८ १८९,२०९,२२१, दशाश्रुतस्कन्ध
१२०,१८९ २४९ पापा मध्यमा नगरी]
१४६ अस्थिकग्राम
हस्तिपाल [राजा] १४६ शूलपाणियक्ष
विमुक्ति[अध्ययन] १४८ जम्बूस्वामी
४०,३०८ मौर्यपुत्र [गणधर] १५५,१९२ निशीथपञ्चमोद्देशकभाष्य
मण्डिकपुत्र [गणधर] १५५,१७७ ज्योतिष्करण्डक
६०,१६३
क्षेत्रसमास सूत्रकृत[-सूत्रकृताङ्गसूत्र] ६३,८४,१४८,२१४ |अजित [नाथ]
१६४,१८६,२५३
२९
३५
४८
१५१
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