Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 509
________________ ७८ समवायाङ्गटीकायां निर्दिष्टानां विशेषनाम्नामकारादिक्रमेण सूचिः । विशेषनाम पृष्ठाङ्कः २३३ १७९ विशाखिल १६६ भरतशास्त्र १६६ अग्निभूति १६७ भरत [चक्रवर्ती] १६९,१७७ सुविधि[नाथ] १६८ पुष्पदन्त [नाथ] १६८ शीतल[नाथ] १६८,१७७ भगवती सूत्र १७०,१७९ अकम्पित[गणधर] १७१ त्रिशिला[महावीरमाता] १७६,२०८ देवानन्दा १७६,२०८ हरिनैगमेषि १७६,२०८ कोशलदेश १७७ श्रेयांसजिन शान्तिजिन[= शान्तिनाथ] १६८,१८६ व्यवहार[सूत्र] १८९ इन्द्रभूति[गणधर] १८९ ऋषभकूट २०० पार्श्वनाथ १९७ आर्यसुधर्मा [गणधर] १९७ पोट्टिल नन्दन[महावीरपूर्वभवनाम] २०८ छत्राग्रनगरी २०८ ब्राह्मकुण्ड[माहणकुण्ड] २०८ ऋषभदत्त २०८ क्षत्रियकुण्ड २०८ सिद्धार्थ[=महावीरपिता] २०८ शाक्य २१० शस्त्रपरिज्ञा २१२ व्याख्या[प्रज्ञप्ति] २२३,२८० समवाय[= समवायाङ्गसूत्र] २२०,३०९ ज्ञाताधर्मकथा २२६ | विशेषनाम पृष्ठाङ्कः | मेघकुमार २२६ उपासकदशा २३१ अन्तकृतदशा नन्दी २३४ नन्दीवृत्ति २३४ अनुत्तरोपपातिकदशा २३६,२३७ प्रश्नव्याकरणानि २३८ विपाकश्रुत २४२ गौतम २४२,२७३ दष्टिवाद[दृष्टिपात] २४७ मूलप्रथमानुयोग २५२ गण्डिकानुयोग २५२ विमलवाहन[कुलकर] २५३ समुद्रविजय नेमिनाथपिता] २५३ ऋषभदेव] १६९,२०८,२५३, २९३ चित्रान्तरगण्डिका २५३ नन्दिटीका जमालि २५४ गोष्ठामाहिल प्रज्ञापना २५६,२६७,२६८, २६९,२७१,२७३, २७४,२७७,२७८ सूत्रकृवृत्तिकृत् २५८ जीवाभिगमचूर्णि २५८ कल्पभाष्य २९१ जिनेश्वर [सूरि] ३०९ बुद्धिसागर[सूरि] ३०९ अभयदेव[सूरि] अणहिलपाटक ३०९ |समवायटीका ३०९ २५३ २०८ २५४ ३०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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