Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 454
________________ नारए ८४ प्रथमं परिशिष्टम् । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः नाणविराहणा ३ (१) | निप्पुलाए १५८ नीलवंत ७ (१), ६३, ११२ नाणावरणिज ३९, ५२, ५८ | निम्मम १५८ नीलवण्णपरिणाम २२ (१) नाणाविहसुरनरिंदरायरिसि- |निम्माणणामं २५ (१), ४२ नीससंति ४ (४), ५ (४) विविहसंसइयनिम्माणनाम २८ (१) नेयाउय ३० (१) पुच्छियाण १४० | नियट्टमाण ९३ नेयारं ३० (१) नाभी १६ (१), १५७ | नियट्टि १४ (१) | नेरइया १५३ नाम ५२, ५८ नियडिपण्णाणे ३० (१) | नेरइयाउए __३१ (१) नामधेज्जा १२ (१) नियडी ५२ नेरइयाणं १५१, १५४ नायगं ३० (१) नियाणकडा १५८ नोइंदियअत्थोग्गह ६ (१) १५८ | नियाणभूमी १५८ | पइट्ठ १५७ नारायसंघयण १५५ | नियाणसल्ल ३ (१)| पइण्णगसहस्सा नालिया | निरयगती १५४ पउम १७ (३), १८ (३), नालियाखेडं ७२ निरयविभत्ती १६ (१) १५७, १५८ निवाए १२ (१) | निरयावास ३४, ८४ | पउमगुम्मं १८ (३) निक्खममाणे ८२ | निरवलाव ३२ (१) | पउमद्दह-पुंडरीयद्दहा निक्खित्तसत्थं १५८ | निरामया ३४ पउमप्पभ १०३ निगमस्स ३० (१) निरुवलेवा ३४ | पउमसिरी १५८ निगृहेज्जा ३० (१) | निवड्माण २७ (१) | पउमावती १५७ निग्गमा १३९ | निवुवेत्ता - ७८, ९८ पउमुत्तर १५८ निच्चागोए ३१ (१) निव्वट्टइत्ता ४० | पउमुप्पलगंधिए निजुद्धं निव्वत्तणया १५३ | पंकबहुल निज्जरट्ठाणा ५ (१) | निसढ ७ (१), ६३ पंकप्पभा निजीवं - ७२ | निसभ ७४, ११२ | पंच ५ (१) निज्जुत्ती १३६ | |निसभकूड ११२ | पंचजामस्स २५ (१) निज्झाएत्ता ९ (१) |निसह-नेलवंतियाओ ९४ | पंचतारे निदंसिर्जति १३६ निसिज्जा १८ (१) पंचधणुसतिय १०४ निदाणकारणा १५८ | निस्सिए ३० (१) पंचम-छट्ठीतो निद्दा ३१ (१) | निहयरयरेणुयं ३४ | पंचमाए १० (३), ११ (३), निप्पडिकम्मया ३२ (१) | नीरया १५० १२ (२), १३ (२), निप्पडिवयणा नीलगपीतगवसणा १५८ १४ (२), १५ (३), निबंधमाण २८ (१) नीललेसा ६ (१), १५३ | १६ (२), १७ (२) स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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