Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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विशिष्टशब्दाः
किडया
१५८
५७ महावीर
१३५
६४ महाप
प्रथमं परिशिष्टम् ।
सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः मरुदेव १५७, १५८ महादुमं
१८ (३) महावीर १ (२), ७ (१), मरुदेवी __ १५७ महाधणुविकड्या
११ (२), १४ (१), मरुयवसभकप्पा १५८ महानक्खत्त
७ (२) १८ (१), ३० (१), ३६, मल्लं २१ (३) महानिरया
४२, ५३, ५४, ५५, ७०, मल्ली १९ (१), २५ (१), महापउम १७ (३), ११५, | ७२, ८२, ८३, ८९, १०४, ५५, ५७, ५९, १५७
१५८ १०६, ११०, १११, १३४ मसूरयसंठाणा १५५ महापभं
महावीरथुई १६ (१), २३ (१) महम्गह १९ (१), ८८ महापाताल
| महावीरवद्धमाण महग्घ महापायाल ५८, ९५ | महासत्तसागरा
१५८ महतिमहालया ५३, १४९ महापुंडं
१२ (३) | महासामाणं १७ (३) महतिव्वकसाय १४६ महापुंडरीयद्दहा __ ११५ महासुक्क १४ (२), १५ (३), महपरिणा ९ (१) महापुखं
१२ (३) १६ (२), १७ (२), महब्बल
१५८ महापोंडरीयं
१७ (३)। १७ (३), ४०, १५८ महारायाभिसेय ७७ महाबल
१५८ | महासुक्क-सहस्सार महरिहाणि १४१ महाबाहू
१५८ महासेण १५७, १५८ महल्लियाए
महाभद्दे
१६ (३) | महाहरी महव्वया ५ (१) महाभीमसेण
१५८ महाहिमवंत ७ (१), ५३, महसीह १५८ महामोहं ३० (१)
८२, १०२ महसेण
१५७ महारयणविहाडगा १५८ | महाहिमवंतकूड ८७, ११० महाकाल १५ (१), १८ (३), महारायत्तं
७८ महितं ३३ (२), १४९ महारायवास
६३ | महिंदं १२ (३), १४ (३) महाकुमुदं १७ (३) महाराया ७८, ८० महिंदज्झयं १२ (३) महाघोस ६ (४), १० (४), महारोरुएसु ३३ (२) महिंददत्त
१५७ १५ (१), ३२ (१), महारोरुते
१४९ | महिंदुत्तरवडेंसगं १४ (३) १५७, १५८ | महालियाए ४२, ४३, ४४, | महिंदोकंतं
१४ (३) महाचंद १५८
४५ महीधर महाजुम्मसया ८१ महाविमाण १ (४), १२ (१), महुरा
१५८ महाणंदियावत्तं १६ (३) ३३ (३), ५३ माउयक्खरा
४६ महाणदी २४ (१), २५ (१) महाविदेहे ७ (१), ३३ (१), माउयापदाणि महाणलिणं १७ (३)
३४ माउयापया महादीया ७ (२) महा ८ (२) मागंदी
१९ (१)
२२ (३)
१३९
१४७
४६
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