Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१५७, ७/ सारी
प्रथमं परिशिष्टम् । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः सव्वतोभदं __ १४७ ससरक्खपाणिपाए २० (१) सामाणं १७ (३), १४७ सव्वदरिसि १ (२) | ससिसोमागारकंतपियदंसणा १५८ | सामाणिय
६०, ८४ सव्वदुक्ख १ (८) | सस्सिरीयरूवा
१५० सामातियकडे ___ ११ (१) सव्वदुक्खप्पहाण १० (१) सहदेव
१५८ सामायारी सव्वबाहिरयं ३१ (१) सहस्सपरिवार
१५७ | सामित्तं
७८ सव्वबाहिरा ७१ सहस्सार १७ (२), १८ (२), | सायागारव
३ (१) सव्वब्भंतरं
३० (१)। सायावेयणिजं १७ (१) सव्वभावदरिसी ५४, ८३ | सहस्सारवडेंसगं १८ (३) सायासोक्खपडिबद्ध ९ (१) सव्वभावविदू १५८ सहीहेडं
३० (१) | सारतनवथणियसव्वरयणामया १५० | साइ
१५ (२) | मधुरगंभीरकोंचसव्वलोयपरे
३० (१) सागर १ (७), १५८| निग्घोसदुंदुभिसरा १५८ सव्वसव्वण्णुसम्म
सागरकंत १ (७) | सारीर
१५३ तस्साबुधजण
सागरदत्त १५७, १५८ साल १८ (३), १५७ विबोहकरस्स १४५ सागरोवम
१ (६) | सालरुक्ख सव्वाउयं ९५ सागरोवमकोडाकोडी २० (१), | सावच्चा
१५७ सव्वाणंद १५८
१३५ | सावणसुद्धसत्तमी २७ (१) सव्वाणुभूती १५८ | सागारियं २१ (१) सासते
१४८ सव्वुपरिमे ११२ साणुक्कोसा
१५८ सासया १३६, १३७, १४० सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरचित- सात २० (३), १५३ सासायणसम्मदिट्ठी १४ (१)
पलंबसोभंतकंतविकसंत- सातावेयणिज्ज ३१ (१) साहम्मियउग्गहं २५ (१) चित्तवरमालरइयवच्छा १५८ | साति
१५५ साहारणट्ठा _३० (१) सव्वोत्तुकसुभाए १५७ | सातिजोग
साहारणभत्तपाणं २५ (१) ससंगताए १४६ सातिणक्खत्त
१ (५) साहाहेउं ससमय १३७,१३८,१३९,१४० | सातिरेग
९९ | साहियाई ससमय-परसमयप
सातीबुद्धे १५८ | सिंधू
१४ (१) ण्णवयपत्तेयबुद्धविविधत्थ- | साधारणसरीरणाम ४२ सिक्खा
३२ (१) भासाभासियाणं १४५ साम
१५ (१) सिज्झणयाए
१५४ ससमय-परसमया १३७, १३८, सामकोढें
१५८ सिज्झिस्संति १ (८). १३९, १४० सामचंदं
१५८ सिणाण
१८ (१) ससमयसुत्तपरिवाडीए २२ (१), सामण्णपरियागं ४२, ७०, १३४ | सिद्ध
४२, १४८ १४७ सामा
१५७ सिद्धत्थ २० (३), १५७
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