Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayanga Sutram Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३४
समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः ।
रोयंस
रोरुते
रोरुय
रोस
१५८
विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः रूविअजीवरासी १४९ लवण १६ (२), १७ (१), लोगप्पभं
१३ (३) रेवतिणक्खत्त ३२ (१) ६०,७२,९५,१२५,१२८ | लोगबिंदुसार २५ (१), १४७ रेवतिपढमजेट्ठपज्जवसाण ९८ |लवालवे ३२ (१) | लोगविजओ ९ (१) रेवती __१५८ लहुफासपरिणाम २२ (१) लोगहित
१ (२) रोगपरीसह
२२ (१) लाउल्लोइयमहिया १५० | लोगहियं रोद्द ३० (१) लाघव
१० (१) लोगालोग १३७, १३८, १५८ लाभमए ___८ (१)
१३९, १४० १४९ लाभ-भोग
लोगावत्तं १३ (३) ३३ (२) उवभोग
लोगुत्तरवडेंसगं १३ (३) वीरियअंतराइयं
लोगोत्तम
१ (२) रोहिणी ८ (२), १९ (१), लिवीए
४६ लोभ
___ ५२ ४५, १५८ लुक्खफासपरिणाम २२ (१) लोभविवेग २५ (१), २७(१) रोहिणीनक्खत्त ५ (२) लुब्भइ
३० (१) | लोभकसाय ४ (१) रोहियंसा १४ (१) लेणविहिं
७२ लोभवत्तिए १३ (१) रोहिया १४ (१) लेसं
१५ (१) लोहबंधे लउड
लेसज्झयणं
३६ लोगमुणिणो लंतए १० (३), ११ (४), लेसा
१५३ | लोहितक्ख १२ (२), १३ (२), लेसापदं
१५३ लोहियवण्णपरिणाम २२ (१) ___१४ (२), १४ (३), ५० | लेहं ।
७२ वरं
१३ (३) लक्खण २९ (१), १५७ | लोए १ (३), १४० वइगुत्ती २५ (१) लक्खणवंजणगुणोववेता १५८ लोकपडिपूरणे १२ (१) वइरतल लच्छिमती
१५८ लोग १० (१), १३ (३), वइरजंघे लट्ठबाहू १५७ १३७, १३८, १३९ वइरावत्तं
१३ (३) लट्ठिभंजण
|लोगंत
११ (२) वइरुत्तरवडेंसगं लण्हा
लोगगुरू १४४ वइरोयणं
८ (४) लता १४६ लोगग्ग-चूलिआ १२ (१) | वइरोयणिंद
६० लद्धसिद्धिमग्गाणं १४१ लोगट्ठाई
१३८ वइरोसभनारायसंघयण १५५ ललिए १५८ लोगणाह
१५७ वइसाहे
२९ (१) ललियमित्त
लोगनाह १ (२) वंचणया
५२ लव
७७ |लोगपईव १ (२) वंजण
२९ (१) लवग्गेणं
७७ | लोगपज्जोयगर १ (२)| वक्खारकूडवज्जा
१४१
११६
७४
१५८
१४६
१५०
१५८
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