Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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પૂર
६८
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का उत्पात-पर्वत, मरण, कर्मप्रकृतिवेदन, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि । अट्ठारसमो समवानो/अठारहवां समवाय
ब्रह्मचर्य, अरिष्टनेमि की श्रमणसम्पदा, निर्ग्रन्थस्थान, आचारांग-पद, ब्राह्मीलिपि के लेखविधान, अस्तिनास्तिप्रवाद के वस्तु, धूमप्रभा पृथ्वी, उत्कृष्ट रात-दिन, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । एगरणवीसमो समवानो/उन्नीसवां समवाय
ज्ञाता-अध्ययन, जम्बूद्वीप में सूर्य, शुक्र महाग्रह, जम्बूद्वीप, तीर्थकरों का अगारवास, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । वीसइमो समवानो/बीसवां समवाय
असमाधिस्थान, मुनिसुव्रत की अवगाहना, धनोदधि का वाहल्य, प्राणत देवेन्द्र के सामानिक देव, कर्मस्थिति, प्रत्याख्यान-पूर्व के वस्तु, कालचक्र, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । एक्कवीसइमो समवानो/इक्कीसवां समवाय
शवल-दोप, कर्मप्रकृति, पांचवें-छठे आरे का कालप्रमाण, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि । बावीसइमो समवानो/वाईसवां समवाय
परीपह, दृष्टिवाद, पुद्गल-परिणाम, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । तेवीसइमो समवानो/तेईसवां समवाय
__ सूत्रकृतांग के अध्ययन, तेईस तीर्थकरों का केवलज्ञान, पूर्वभव में एकादशांगी, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । चउन्वीसइमो समवानो/चौबीसवां समवाय
देवाधिदेव क्षुल्लहिमवंत-शिखरी-जीवा, इन्द्र-सहित देवस्थान, उत्तरायण सूर्य, गंगा-सिन्धु, रक्तारक्तवती, महानदी, स्थिति, श्वासोच्छ् वास, आहार, सिद्धि ।
८४ पण्णवीसइमो समवानो/पच्चीसवां समवाय .
पंच यामों की भावनाएँ, मल्लि की अवगाहना, दीर्घवैताढ्य पर्वत, दूसरी पृथ्वी के नरकावास, प्राचारांग के अध्ययन, मिथ्याष्टि-विकलेन्द्रिय
का कर्मप्रकृतिबंध, गंगा-सिन्धु, रक्ता-रक्तवती महानदी, लोकबिन्दुसार के , वस्तु, स्थिति, श्वासोच्छ् वास, आहार, सिद्धि ।
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