Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 9
________________ विषय-निर्देश १४ पढमो समवायो/पहला समवाय आत्मा, अनात्मा, दण्ड, प्रदण्ड, क्रिया, प्रक्रिया, लोक, अलोक, धर्म, अधर्म, पुण्य, पाप, बन्ध मोक्ष, प्रास्रव, संवर, वेदना, निर्जरा; जम्बुद्वीप एवं अप्रतिष्ठान नरक का आयाम-विष्काभ, पालक-यान, सर्वार्थसिद्धविमान, आर्द्रा, चित्रा, स्वाति-नक्षत्र, स्थिति, आहार, श्वासोच्छ वास, सिद्धि । ३ वीश्रो समवानो/दूसरा समवाय ___दण्ड, राशि, बन्धन, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छवास, माहार, सिद्धि । तइओ समवानो/तीसरा समवाय दण्ड, गुप्ति, शल्य, गारव, विराधना, मृगशिर-पुण्य-ज्येष्ठा-अभिजितश्रवण-अश्विनी-भरणी नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छवास, आहार, सिद्धि। ११ चरत्यो समवानो/चौथा समवाय कपाय, ध्यान, विकथा, संज्ञा, बन्ध, अनुराधा-पूर्वापाढा-उत्तरापाढ़ा नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ् वास, आहार, सिद्धि । पंचमो समवायो/पांचवां समवाय क्रिया, महाव्रत, कामगुण, प्रास्रवद्वार, संवरद्वार, निर्जरास्थान, समिति, अस्तिकाय, रोहिणी-पुनर्वसु-हस्त-विशाखा-धनिष्ठा-नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि । छट्ठो समवायो/छठा समवाय लेश्या, जीवनिकाय, तप, छानस्थिक समुद्घात, अर्थावग्रह, कृत्तिका-आश्लेपा-नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । २१ सत्तमो समवानो/सातवां समवाय भयस्थान, समुद्घात, महावीर की अवगाहना, वर्षधर-पर्वत, वर्ष/क्षेत्र, कर्मप्रकृतिवेदन, मध्यनक्षत्र, पूर्व-दक्षिण पश्चिम-उत्तरद्वारिक नक्षत्र-निरूपण, स्थिति, श्वासोच्छ्वास, आहार, सिद्धि । अट्ठमो समवायो/पाठवां समवाय __ मदस्थान, प्रवचनमाता, वाणमन्तरों के चैत्यवृक्ष, जंवू, सुदर्शन, कूटशाल्मली, जम्बूद्वीप की जगती, केवलिसमुद्धात, पार्श्व के गण-गणघर, नक्षत्र, स्थिति, श्वासोच्छ वास, आहार, सिद्धि । १६ २४ २६Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 322