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सूत्रम्
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है छे त्यारपछी प्रदेश वृद्धिए वधती ज्यांमुधी उत्कृष्ट अनंत थाय; त्यांसुधीज आहारकशरीरना सूक्ष्मपणाथी अने बहु प्रदेशपणाथी तेने अयोग्य वर्गणाओ छे, तेम बादरपणाथी अने अल्प मदेशपणाथी तैजस शरीरने पण अयोग्य छे.
प्रश्न:-जघन्यउत्कृष्टने अहीं केटलुं अंतर छे ? उत्तर- जघन्यथी उत्कृष्ट अनंतगुणा छे.
॥२५९॥ प्रश्न-क्या गुणाकार वटे ? उत्तर-अभव्यथी अनंतगुणा अने सिद्धथी अनंतमे भागे के. तेना उपर एकरूप नाखवाथी तैजस शरीरने योग्य वर्गणा जघन्य छे, ते प्रदेशवृद्धिए वधती उत्कृष्टसुधी अनंती थाय छे. प्रश्न-जघन्य उत्कृष्टनुं अंतर केटलुं छे!
उत्तर-जघन्यथी उत्कृष्ट विशेष अधिक छे, अने विशेष ते जघन्य वर्गणानो अनंत भाग छे, तेने पण अनंत प्रदेशपणुं होवाथी द जघन्य उत्कृष्टनी वचमा रहेली वर्गणाओनु अनंतपणुं छे, तैजसनी उत्कृष्ट वर्गणाना उपर एकरूप नाखवाथी वधेली जे वर्गणा ते I
तैजस शरीरने अग्रहण योग्य थाय छे एम एक एक प्रदेश वधतां उत्कृष्ट अंतवाली अनंती वर्गणाओ छे, ते तैजस शरीरने तेना के 5 अति सूक्ष्मपणाथी तथा बहु प्रदेशपणाथी अयोग्य छे, तेम बादरपणाथी अने अल्प प्रदेषपणाथी भाषा द्रव्यने पण अयोग्य छे.131
जघन्य उत्कृष्टतुं अनंत गुणपणाथी विशेष छे अने ते गुणाकार अभव्यथी अनंतगुणा अने सिद्धोथी अनंतमे भागे छे ते XI | अयोग्य उत्कृष्ट वर्गणामां एकरूप नाखवाथी जघन्य भाषा द्रव्यवर्गणा थाय छे, तेनी पण प्रदेश वृदिए उत्कृष्ट वर्गणा सुधी अनंत K.
BASISALCCASIॐॐॐ