Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ आयारंग-सुत्तं ॥ ॥ ' बम्भचेराई' नाम पढमो सुयक्खन्धो ॥ सत्थ परिन्ना १-१ (१) सुयं मे, आउ, तेण भगवया एवमक्खायं: इमेसिनो सन्ना भवर, (२) तं-जहा: 'पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, दाहिणाओ वा दिसाओ...., पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ...., उत्तराओ वा दिसाओ...., उड्डाओ वा दिसाओ...., अहेदिसाओ वा...., अन्नयरीओ वा दिसाओ वा अणुदिताओ वा आगओ अहमंसि' - एवमेगेसिं नो नायं भवइः (३) 'अत्थि मे आया उववाइए, नत्थि मे आया उववा - 5 इए ? के अहं आसी के वा इओ चुओ इह पेच्चा भविस्सामि ? ' । ( ४ ) से ज्जं पुण जाणेज्जा सह-सम्मुइयाए पर वागरणेणं अन्नेसिं वा अन्तिए सोच्चा, तं जहा :- ' पुरत्थमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि जाव अन्नयरीओ वा दिसाओ वा अणुदिताओ वा आगओ अहमंसि ' - एवमेगेसिं नायं भवइ :- अत्थि मे आया उववाइए; जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचर, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणु 10 दिसाओ सोsहं ' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५ ) से आया-वाई लोगा बाई कम्मा - वाई किरिया -वाई य । ' करिस्तं च 'हं कारावेस्सं च'हं करओ यावि समणुन्ने भविस्सामि' – एयावन्ती सव्वावन्ती लोगंसि कम्म-समारम्भा परिजाणियव्वा भवन्ति । ( ६ ) अपरिन्नाय कम्मे खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसा सहेर, 15 अग-वाओ जोणीओ सन्धेइ, विरूव-रूवे फासे पडिसंवेएइ । ( ७ ) तत्थ खलु भगवया परिन्ना पवेइया इमस्स चेव जीवियस्स परिवन्दण माणण-पूयणाए, जाइ- मरण- मोयणाए दुक्ख-पडिघाय-हेडं—एयावन्ती सव्वावन्ती लोगंसि कम्मसमारम्भा परिजाणिव्वा भवन्ति । जस्से'ए लोगंांसि कम्म-समारम्भा परिन्नाया भवन्ति, से हु मुणी परिन्नाय -कम्मे —त्ति बेमि ॥ १-२ ( १ ) अट्टे लोए परिजुष्णे दुस्संबोहे अविजाणए । स लोए पहिए तत्थ तत्थ पुढो पास आउरा परियावन्ति । For Private And Personal Use Only 20

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