Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्दे०१] नवमं अज्झयणं उ व हा ण सुयं ९-१ १. अहा-सुयं वइस्सामि जहा से समणे भगवं उठाय संखाएँ तसि हेमन्ते अहुणा-पव्वाइए रीइत्था । २. 'नो चेवि'मेण वत्थेणं पीहिस्सामि तंसि हेमन्ते-' से पारऍ आवकहाए, एयं खु अणुधम्मियं तस्स । ३. चत्तारि साहिए मासे बहवे पाण-जाइयागम्म आभिरुज्झ कायं विहरिंसु, आरुसियाणं तत्थ हिंसिसु । ४. संवच्छरं साहियं मासं जं न रिकासि क्स्थगं भगवं, अचेलए तओ चाई तं वोसज्ज वत्थमणगारे । ५. अदु पोरिसिं तिरिय-भित्ति चक्खुमासज्ज अन्तसो झाइ : अह चक्खु-भीय-सहिया ते " हन्ता हन्ता" बहवे कन्दिसु । ६. सयणहिं वीइमिस्सेहिं इथिओ तत्थ से परिन्नाया: सागारियं न से सेवे, इति से सयं पवेसिया झाइ । ७. जे के'इमे अगारत्था, मीसी-भावं पहाय से झाइ पुट्ठो वि नाभिभासिंसु, गच्छइ नाइवत्तई अञ्जू । ८. नो सुकरमेगेसिंः नाभिभासे अभिवायमीणे, हय-पुव्वों तत्थ दण्डेहि, लूसियपुवा अप्प-पुण्णेहिं । फरुसाई दुत्तिइक्खाई अइयच्चे मुणी परकममाणे आघाय-नट्ट-गीयाई दण्ड-जुज्झाई मुहि जुज्झाई गढिए मिहुं-कहासु समयम्मि नाइ-सुए विसोऍ अद्दक्खू । एयाई सो उरालाई गच्छइ नायपुत्ते असरणाए । अवि साहिए दुवे वासे सीओदं अभोच्चा निक्सन्ते; एगत्त-गए पिहियच्चे से अभिन्नाय-दंसणे सन्ते । १२. पुढविं च आउ-कायं च तेउ कायं च वाउ-कायं च पणगाई बीय-हरियाई तस-कायं च सव्वसो नच्चा १३. 'एयाई सन्ति ' पडिलेहे ' चित्तमन्ताई । से अभिन्नाय परिवज्जियाण विहरित्था इति संखाएँ से महावीरेः १४. 'अदु थावरा य तसत्ताए तसजीवा य थावरत्ताए, अदु सव्वजोणिया सत्ता, कम्मुणा कप्पिया पुढो बाला'। For Private And Personal Use Only

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