Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भावारांगसूत्रस्य
[नन्दि-पत निझोसइत्तर- निझोषयित पइट्ठाण ( अप्प०) प्रतिष्ठान, नम् (धातु) नममाण, अनममाण, निडाल ललाट
(अप्र.) नय, अनवयमाण, उन्नयमाण, परि. नितिय ( आन०) नित्य (अनि०) पंसु पशु णमेज्जा, विप्परिणामन्ति, विपरि- निदा निद्रा
पक्कस दृष्टव्य वक्कस णामेन्ति, पणय निस निर्देश
पक्खालण प्रक्षालन नमस्य धातु) नमंसिय नियग -
पक्षिण- पक्षिन् नर
नियट्ट (अनि०) निवर्त (अनि०) पगन्थ प्रग्रन्थ गरग नरक नियम
पगप्प प्रकल्प ( सामाचारी = नश् (धातु) नस्सइ, नासइ, वि- नियाग न्याय
आचार) णस्सइ, नियाण निदान
पगाम प्रकाम नह नख निरय -
पगार प्रकार १नाइ ज्ञाति (ज्ञाति पुत्र-महा- निरामगन्ध -
पग्गह प्रग्रह वीर)
निरालस्वनया निरालम्बनता पर (धातु ) पयह, परिपञ्चमाण २ नाइ ज्ञाति ( शाति-बल) निरुववाण निरुपस्थान
पारव० नाग - निरोह निराध
पश्चात्तम प्रन्यक्तिम नाण ज्ञान निलाट ललाट
पचारमण- प्रत्याशिन् नाणवन्त- ज्ञानवन्त निवाइण- निपातिन्
বা এস্কা नाणिण- ज्ञानिन् नियाय निवात
पज्जव पयय नाभि - निवेसण निवेशन
पजवासिय दृष्टव्य सन् (धातु) नाम नामन् निव्वाण (२०) निर्वाण
पंचग पञ्चक (शब्द, रूप, रस, नामय नामक निव्वेय निर्वेद
गन्ध, स्पश) नाय ज्ञात निस्सार निःसार
पट्टण पट्टन २ नाय ज्ञात निस्सयस निःश्रेयस
पटिकल प्रतिकूल नायपुत्त ज्ञातृपुत्र निस्सेस ( नी०) निःशेष
पनिक पाडियक) प्रत्येक नालीय नालिक निस्समिय नि:शेषिक
पानग्गड प्रतिग्रह नास नाश
निह ( अनि०) निघ (हन् धातु ) पारमाय प्रा घात निकरण (नो निकरणाए त्ति, नो नी (धातु) उवणीय, सुवीय, पटनायण प्रातच्छादन
निश्चयं कर्तुं समर्थः,-व्याख्या) परिणिज्जमाण, विणइत्तु, विणएत्ता पाडल ( अप०) प्रानज्ञ (अप्र०) निकरणया निकरणता नीया नीचा
पाडयक दृष्टव्य पडिक्क १निकाय ---
नील - २निकाय दृष्टव्य चाय (धातु) नीसंक निःशक
पडिलेहा प्रातलेखा ( लिख धातु) निकेत ( अनि०) --
पडिहणया प्रतिवृहणता नीसेस दृष्टव्य निस्सेस
पड़ीण प्रताचीन निकम्म निष्कर्म नुद (धातु) पणुन, विप्पणोल्लए
पडीयार प्रतीकार निगम -
विपु० निग्गन्थ निर्ग्रन्थ नूम कर्म, माया ( अभिन्म अभि-.
पदुच्च दृष्टव्य व्रज (धातु) निचय -
पणग पनक ___ मुख्येन कर्म माया वा) निश्चग (अनि०) मित्यक (अनि०) नेत्त, नेय नेत्र
पाणय पण्य
पाडय पण्डित निजरा निर्जरा
नेव्वाण निर्वाण निज्झाइण- निध्यायिन्
पत् (धातु) अइनाएज्जा, अणइ. नो न
बाएमाण, आवडिय, अप्पइय, निव
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68