Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
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४९
भो भोस् भोरण भोजिन्
भू-मोह]
अकारादि-शब्दानुक्रमणिका भू (धातु) भवइ ( होइ ), भव.. मद (धातु) मज्जेजा,पमज्जेजा; पमत्त, मीसी मिस्री लि, भवे, भविस्सामि, भविस्सा- अप्पमत्त ।
मुच् (धातु) मुच्चइ, मुक्क, मुत्त; मो; होइ ( भवइ ), होन्ति, होउ. मद्दविया मार्दवता
उम्मुच, मुञ्च; पमुच्चास, पमुच्चइ, अहेखि भूय, अगभिभूय, अभि- मन (धातु) मनसि, मनइ, मन्नमाण पोवसतिपिप्पमुवक पडिमाए। भूय, पभूय, संभवन्त, असं०, स- मय, दुम्मय, मणुया; मत्ता, भन्ता, विमुक्क, पिमुत्त भय, अभिभूय सम्मय
मुष्टि (मुंठि) मुष्टि भमि -
मंत्रय् (धातु) निमन्तेज्जा मुणि मुनि भूय भूत मन्शु -
मुण्ड - भेउर, भि० भिदुर मन्द -
मुत्ति मुक्ति भेत्तर भेत्तु ममाइय ममायित
मुत्तिण- मूत्रिन् भेय भेद
ममाय् (धातु) ममायमाण, अममा- मुत्तिय मुकिक भेरव भैरव
यमाण, अम्मायमीण मुन् (धातु) मुय, मुणिया, सम्मुय ममाग (मामग) नमक
मुह , मुज्झइ, मूड, सम्मूढ मरण -
मुह मुख भोग - मस मशक
मुहत्त मुहूर्त भोम भाम भोयण भोजन
मुहुत्ताग मुहूर्तक महु मधु भ्रंश् (धातु) भट्ट
मूक्षण- मुपिन् महुर मधुर भ्रम -
मूय मूक (मू, मूई) मा -- मह मति
मूयत्त मूत्व माइण- मायिन् मईमन्त मातमन्त्
मूर्छ (धातु) मुच्छइ, मुच्छमाण. माइल्ल ( अमा० ) ,, ( अमा०)
अमुच्छिय मउय मृदुक
माण मान मंकड मर्कटक
माणण मानन ( यथा वन्दन, मानन, मलियारी मूषिकारी (नाजी ) मंस मांस
पूजन) भंसु इमश्रु
मृ (यातु) मुयच्च ( मृता; मा माणव मानव
विनष्ट, अपां (तेमस् ) कषाय li मक्कडग मर्केटक माणुस्स मानुष्य
येवात मृताचा:-न्यार.) सामरिए मग्ग मार्ग
मामग भालक (मदीय) मच्चिय मर्त्य
मृज , संलिगन्जमाण; पमज्जए; पममायर्- मातृ
जिजा, पमाजया, मनजिन्य मच्चु मृत्यु १ माया मात्रा
मृप (पति) आनुसन्त; विपर.नसइ. मझ मध्य
२ माया माता मज्झिम मध्यम
નુતર, મૈતન્દુ, મુસદ્ધ કુતil ३ माया - मट्टिया मृत्तिका
मेहाविन् मेवान्ि मारसब -
महणिय मेहनिक मारुय मारुत
महिण- मेहिन मण मनस् मास -
मोक्ख मोक्ष मगस मनस् माहण (बंभण, बम्हण) ब्राह्मण
मोग मौन निजा मज्जा
मोत्तिय भौक्तिक मणुस ( •स्स) मनुव ( ००) मित्त मित्र मत्ता मात्रा
मोयण मोचन लिहुं मिथुन् मथु ( धातु) पमत्थइ, पमन्यई मिह मिथस्
मोह
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