Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
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५०
आचारांगसूत्रस्य
[म्ला-यह
लंपइत्तर ) लम्पयित
लुपित्तर
लम्पयित
म्ला (धातु)मिलाइ राय रान
पडिलोहत्ता, पडिलहिय, सुपडिले१य च रायसिण-राजासिन्
हिया २ य ज ( यथा अण्डय, उभिय, रायण-राजन्
लिए , लिपइ, ओलिंपेज्जा, जराउय, पोयय, रसय, संसेयय रायहाणी राजधानी
उलि जासि, लिपे०, लिंपेज्जा इत्यादि)
ऋ (धातु) रिज्जइ, रीयइ, रीयए, ली ,, दृष्टव्य व्ली ? यत् (धातु ) जयाहि, जयमाण रीयन्तेरीयन्तू-, रीइत्था, रीयमाण लुक्ख रुक्ष यम् ,, जय ( यतेत् ), आयय, रिच ( धातु ) रिक्क, अइरित्त, रि- लुञ्च ( धातु ) लुधिंसु, लुचिय, सखेंआयतर, नियच्छन्ति, संजमइ, क्कासि (त्यक्तवान् ।)
चमाण संजय, असंजय रीया ईया
लप , लुप्पइ, आलुपह, विलुपह १ या च रुक्ख रक्ष
विलुपन्ति २ या (धातु) जन्ति, दुजाय; रुद (धातु ) रुयन्ति, रोयन्ति
जावए, जावइत्य, निज्जाई, नियाइ रुध् निरुद्ध याच , जाएज्जा, जाइस्सामि, रुश् , आरुसियाणं लुस् (धातु ) लूसिंसु, (पिन्ति, जाइत्ता
रुह , अभिरुज्झ, आरुज्झ, जिहिंसु) लूसिय युज् , अभिजुंजियाणं, "जुजिया; समारुहन्ति ।
लूसग लूषक विप्पांजन्ति
रुह (रह बीजजन्मनि ) लसणग लूषणक युथ , जुज्झाहि
रूपम् ,, परुवमो, परूवेइ, पख्वेन्ति लूसिण-लूषिन् रूव रूप
लूह ( लुक्ख ) रूक्ष रह (अर.) रति ( अर०)
रूविण ( अरू० ) रूपिन् ( अरू०:) लेख, लेलु लेष्टु रक्ख रक्ष रोग ----
लेस्सा लेध्या रक्ष (धातु ) सारक्खमाण, मीण रज , रज्जइ, रएज्जा, रत्त, लज्ज (धातु ) लज्जामो, लज्जमाण लाइय लाकिक आरत, विरज्जए, विरत्त लहि यष्टि
लोग लोक
लोच (धातु) आलोएइ, आलोग लद्धि लब्धि रण्ण अरण्य
लोभ -- रम् (धातु) आरमे, आरममाण, लप् (धातु) लालप्पमाण
लोव लोप .मीण, अणारद्ध; समार (२) भइ लभ लभइ, लभन्ति, लद्ध,
लोहिय लोहित ०र भन्ति,र(२)भज्जासि, उजा अलद्ध, द्धग, लब्दु, लभिय; र (२) भन्त, र (२) भमाण, उपलब्भ, पइलब्भ, पडिलाभिय व इव, एव, वा असमारब्म, रंभ; समारंभावेइ, लम्ब् (धातु) अवलंबए, अवलंबि- वई वाच्
याण
वओ वचस् रम् , रमइ, रमन्ति, रय, अरय लवण --
वक्कस, प. चिरन्तनधान्योदनम् , उवरय, अणुवरय,विरमेउजा, विरय, लहु लघु
पुरातनसक्तुपिण्डम् , बहुदिवस. अविरय लहुग लघुक
सभृतगोरसगाधूममण्डकम् --च्या रय रजस् लाघव -
बंक चक्र लाविया लाघवता
वच् (धातु) वुत्त, वत्तए, वाइथ, रसण रसन लाढ राढा
पवुच्चद राइ रात्रि लाला -
वञ्च वय, वाच्य राहन्दिय रात्रिंदिव
लिख ( धातु ) पडिलेहन्ति, पडिलेहे, वज वज्र (-भूमि)
पडिलेह, सडिलहिया पडिलेहाए, वह वृत्त
वेज्जा
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