Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सैलेगइय-सुणिम] अकारादि-शब्दानुक्रमाका संतेगइय सत्येकसंथर सस्तर संथव संस्तव संथारग संस्तारक मथुय सन्तुन संघण मन्त्रा संधि - सन्ना सम्मा संनिचय - संनिवेस संनिवेश संनिहाण सनिधान संनिहि संनिधि सप्पिण- सर्पिन सवलत्त शालन सभा - समंजस समान मानत समय - ससया समता समायाण समादान समायार समाचार समाभ - समाहि समाधि समिय, या सम्यक् समुट्टाइण- समुत्थायिन् समुप्पाय समुत्पाद सम्मुम्पय समुच्छ्य संपसारग संप्रसारक संपाइम संपालिम संफास संस्पर्श संवाह सम्बाध संवाहण सम्बाधन सम्पइ सम्मति सम्पइया सम्पतिता सम्मं सम्पक सम्मत्त सम्यक्व सम्मुइ सम्मुति सामगिय सामान्य सम्मुच्छिम सम्छिन सात यामख १ सय शय सानिण- कान्ि २ सय स्वक सय शयन २ सयण वजन २सार स्मार सयं स्वयम् सारग स्मारना सयय सततम् साला शाला सया सदा साम्य शाश्वत सर स्मर साहस्मिय साधर्मिक सरण शरण साहारण साधारण २ सरण करण साहु साधु १सरणया शरमाता २ सरणया स्मरणता सिच् (धातु ) संसिञ्चमाण, सी सरीर शरीर ०, सांसञ्चियाणं सरीरग शरीरक सिदिल शिथिल सल्ल शल्य मिणाण खान सवण श्रवण सव्व सर्व सिध् (धातु) निसिद्धा, पडिसेहिय सध्या सर्वतम सिर शिरस् सव्वत सर्वत्व सिलिवइण- लीपदिन् (श्लीपदं सध्यन्थ सर्वत्र पदादी काठिन्यम्-व्यापा) सव्वया सर्वदा सिलीग टोक सचसो सर्वशस् सिसिर शिशिर सव्वावन्त -सर्वावन्त सिस्स शिष्य सस्सय दृष्टव्य सासय सीय शीत सह् (धातु) सहइ, सहए सील शील १ सह - सीलमंत शीलवन्त २ सह स्वक (नह सम्मइ- सीव् (धातु) सिविस्सामि, या-स्वकसन्मत्या) सीमित सहसाकारय् (धातु) सहस- सीस शीर्ष कारह सहि सखि स्वर - साइण-शायिन सुकरण -- साइम स्वादिम सुफ शुष्क सागारिय नगारिक सुकिल शुरु साड शाट साथ् (धातु) साहेइ, साह, सुणा उनक साहिस्सामा, साहिय सुणिम ... For Private And Personal Use Only

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