Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ आचारांग सूत्रस्य [सुन्हा सूइ शूचि सुण्हा स्नुषा सोवाग ३वपाक सुत्त सूत्र सोहि सोधि २ हस्स, हु० इस्व सुन्न शून्य स्खल (धातु) खलयिंसु हा (धातु) जहाइ, जहंति, जहाहि, सुप् (धातु) सुत्त स्तन् , थणंति हीण,जहित्ता,विज०,हिच्चा; परिहा. सुष्म शुभ्र स्तम् ,, ओटुंभियाए, ओटुंभिया यमाण, अप०, अपरिहीण, पहाय, सुभि सुरभि स्तु , संथरए, संथरेजा, संथ- विपजढ, विजहित्ता, वियहित्तु १सुय श्रुत रित्ता हार --- २ सुय सुत स्था , चिट्ठइ, चिट्ठे, चिज्जा, हालिद्द हारिद्र सुरभि -गन्ध ठाएज्जा, चिट्ठल-, अचिट्ठत, ठिय, १ हास हर्ष सुवसु - ठावए; उहिय, अणुट्टिय, उहाए, उट्टाय; २ हास सुव्वय सुव्रत समुट्ठिय, समुद्याय, उवष्ट्रिय, अणुव०: हि -- सुसाण श्मशान परिट्टवेज्जा, परिदृवेत्ता, विपरिचिट्टइ, हिंस (धातु) हिंसइ, हिंसन्ति, सुह सुख विट्टिय, परिविचिट्ठइ हिंसिस्सन्ति, हिंसिसु, अहिंसमाण; स्पंद् , विष्फन्दमाण विहिंसइ, विहिंसन्ति, अविहिंसमाण स्पृश् ,, फुपन्ति, फासए, पुट्ठवन्त्-, हिंसा - सूइय सूप्य; अथवा सपिक हिमग हिमक सुणिय शूनिक स्पृह ,, पीहए हिमवाय हिमपात सूर शूर हिय हृद् ' स्मृ , स (म) रन्ति, अणुसं- हियय हृदय पसारिय, पसारेत्तु, संपसारए; सरह हिरण्ण हिरण्य अणुसंसरइ नु , वीसवन्त हिरिण- (-हीमन्त) सज ,, वोसिरे, वासह, विओसज्ज, , स्वाद् ,, साइज्जइ, साइज्जिस्सामि, हिरी ही सिज्ज, सेज, वासज्ज, आणसट्ट साय, असाय, अस्साय हु खल सेन्जा शय्या हंता हन्त सेय श्रेयस् - हंभो - हुरत्था हुरस्तात् सेत् (धातु ) सेवइ, • ए, सेवन्ति, हणु हनु हुस्स ह्रस्व सेवेज्जा, सेवित्था, सेविंसु, सेवित्ता, हणुय हनुक ह (धातु) अभिहड, अवहरन्ति, आसेवइ, ० ए, आसेवित्ता, पडि- हत्थ हस्त आहरे, आइड, आहटु, सेवे, पडिसेवमाण हन् (धातु ) हणंति, हणिया, हणे, आहारेमाण, उदाहरन्ति, उदाहड, सेस शेष हण, हणह, हणं--, हंतव्व, हय, परिहरन्ति, परिहरेज्जा, परिहरन्त सेहि (सिद्धि ) (हओवय); हम्मइ, हन्नइ आहेतु विहरे, विहरित्था, विहरिसु, विहसोणि ( णी) य शोणित उवहय, निहणिज्ज,निहाणिंसु,अविह- रन्त, विहरमाण, विहरेजा सोत्त श्रोत्र म्ममाग, हृष् (धातु) हरिसे १ सोय शौच हंतर- हन्तु २ सोय श्रोत्र हरय हद हेमंत हैमन्त ३ सोय स्रोतस् हरिय हरित होट्ट हु० ओष्ठ सोयविया शौचवता १हव्व अर्वाक हुनु (धातु) निण्हवइ, निण्हवेज्जा सोलस षोडश २ हव्व हव्य ही, अहिरीमाण स् (धातु ) पसारए, पसारेमाणे स्फुट विफुडमाण For Private And Personal Use Only

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