Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ यतरा आचारांग सूत्रस्य [क्रुश्चत्तारि क्रुश् (धातु) अक्कुट, आकुछ गण्डिण. गण्डिन् गुप्फ गुल्फ क्लम (,) किलामेयव्य, परिकि- गन्ध ग्रन्थ मुप्फग गुल्फक गन्ध - क्लिश (,) किलेसन्ति, परिकि. गम्भ गर्भ मुरुग गुरुक लेसन्ति गम् । धातु) गच्छइ, गच्छन्ति, गुहा --- क्षण (,) छणे गच्छेज्जा, गम, गभित्तए; अइयच्च; ग्र(धातु) जा रन्ति, जागित्ता, क्षिप् (,) निक्खिवे, निक्खित्त- अणुगच्छन्ति, अणुगच्छमाण, अण- जनावइ खण क्षण गुगच्छमाण; आगममाण, ० मीण, गृध् (धातु ) गिज्झे, गिद्ध, अणुखणय क्षणक आगय, आगमेत्ता, आगम्म, सम• गिद्ध, परिगिज्झइ खन् (धातु) खणह नागय, असम, अभिसमन्नागय, गेहि गृद्धि खन्ध स्कन्ध अभिसमागम्म; नियच्छन्ति,विगय-गोमय - खम क्षम गम-यथा पारंगम, तीरंगम गोय गोत्र खय क्षय गमण गमन गोयर गोचर खलु, खु, हु खल्वर्थक गरहा ( अगरहा ) गहीं (अगर्दा) प्रश् (धातु ) गढिय खवय क्षपक गरुय गुरुक ग्रम् अह , गहिय, गहाय, अखाइम खादिम गल - मिनिगिज्झ,अपरिग्गहमाण, मीण, खिस (धातु) खिसए गल्भ् (धातु) पगब्भइ अपरिगहेमाण, परिगिज्झ, पगहीखिप्प क्षिप्र गवेष , गवेसित्था खु खलु गवेसग गवेषक ग्ला (धातु) गिलाए मे, गिलाखुजिय कुब्जक गह (अग्गह ) ग्रह (अग्रह) णामि, गिलामी, गिलाइ, गिलाखुड्डग-खुड्डिय क्षुद्रक गाम ग्राम एज्जा, गिलायन्त, गिलाण, अगिखेड खेट गामिण० गामिन् लाण, गिलाय, परिगिलायमाण खेत्त क्षेत्र गामिय ग्रामिक घर गृह खम क्षेम गाय गात्र घस् (धातु) परिघासेत्त, दिगिखेय क्षेत्र गार अगार च्छन्त, दिगिच्छिन्त, दिगिच्छिन्ता, खेयन्न खेदश,-क्षेत्रज्ञ गाह (धातु) अभिगाहा दिगिच्छन्ता ख्या (धातु) अक्खाइ, अग्घाइ, गाहय (गाहिया) ग्राहक (ग्राहिका) घाण घ्राण आघाइ, आइक्खामो, आइक्खह, गाहावइ गृहपति घातय् (धातु ) घायए, घायमाण, आइक्खन्ति,आइक्खे,आइक्खेज्जा, गिद्धि गृद्धि चायमीण अक्खाति,आइक्ख, अग्याइस्सामो, गिम्ह ग्रीष्म घास ग्रास आइक्खमाण, अक्खाय, अग्याय, गिरि - घृप ( पातु ) परिघेत्तव्य, परिधेयव्व आघाय, आखाय; अब्भाइक्खइ, गिलासिण- ग्रासिन् घोर - अन्भाइक्खेज्जा; उदाहिय; पच्च- गिलासिणी ग्रासिणी क्खाएज्जा; पडियाइक्खे, अव्वा-गिह गृह च, (यॉ, या, अ) च आर्थक हिय,वाहिय, विक्खाय,-वियक्खाय, गीय गति चउत्थ चतुर्थ वियाहिय; संचिक्खइ, संखाए, गीव प्रीव चउप्पय चतुष्पद संखाय; पडिसंखाय मुण - चउरंस चतुरंश ग यथा पारग रसग मुत्ति गुप्ति चक्खु चक्षु गह गति गुप् (धातु) गुत्त, अगुत्त, दुगुञ्छमाण चत्तारि चत्वारि For Private And Personal Use Only

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