Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
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असण-इरय]
अकारादि-शब्दानुक्रमणिका
जानुधामक
इत्तिरिय । इत्वरक
असण अशन
आणुधम्मिय आनुधर्मिक आहञ्च (आहत्य) अह (धातु) आहु, उयाहु, आइय आप् (धातु) आयतर, आत्ततर, आहरण -
आहाकड यथाकृत १ अह
पत्त, अपत्त, पप्प अथ आम अपक्क
आहार २ अह अधस् अहं ( सर्व०) आय,-या
आहारग आहारक अहं, मे, मए, मम,
आत्मन्
आयग आत्मक ___ महं, मे
इ (धातु) एन्ति, उवेइ, एचा, भआयंक आतक अहा यथा
बेइ, अईय; समेई, समिय, समेच्चा, आयत्त आत्मत्व अहिय अधिक
अभिसमेच्चा आययण आयतन अहुणा अधुना
इओ इतस् आयरिय आचार्य अहे अधस्
इच्च्० इति ( इच्चस्थ इत्यर्थ ) आयवन्त्० आत्मवन्त् अहो अधस्
इच्छा - आयाण आदान १ अहो अहर
इण ( एण) इदमर्थक आयार आचार २ अहो (आश्चर्य) आरम्भ (पापजनक प्रवृत्ति) इति (इच्च्०)
इत्तरिय । आराम आइ आदि आइय आदिक आरिय आर्य,-आचार्य
इत्थिया स्त्रीका आईय आदिक,-आ अतीत आलइय आलायक
इत्थी स्त्री १ आउ
आलुम्प - आपस् आलोभिण आलोभिन्
इन्दिय इन्द्रिय २ आउ आयुस्
इम ( सर्वनाम ) इम, इमा, इमेण, आउट्टी आकुटी आवकहा यावत्कथा
इमस्स, इमाम्म, इमे, इमाओ आवद्ध आवत आउय आयुक
इय इति आवन्त्० यावन्त आउर आतुर
इयर इतर आवसह आवसथ आउरिय आतुरक
इयाणि इदानिम् आवह आउसन्त्० आयुष्मन्त्
इरिया ईर्या आएस आवेश आवास
इव, व इवार्थक आएसिण आदेशिन् आवेसण आवेशन ( शन्यगृह)
१इष (धातु) एसे, एसन्ति,एसए, आकंखिण आकांक्षिन् आस ( धातु) आसंसु, आसिसु,
एसित्या, एसिया; अन्नेसन्ति, सि. आकेवलिय आकेवलिक
आसीण, उदासीन
न्ति; पादुरेसए, पाउडएसए आगइ आगति आस आश (प्रातराश दि)
२ इष् (धातु) इच्छसि, इच्छियाआगन्तार प्रसङ्गा यात्वा आगर आसंसा आशंसा
निच्छिय वा यत्र तिष्ठन्ति (व्याख्या) आसण आसन
इसि ऋषि आगमण आगमन आसण आसनक
इह-हिं) इहार्थक भागमिस्स आगमिष्य
असम आश्रम
ईक्ष् (धातु) उवेहइ, उवेह, उवेआगर आकर आसव आश्रव
हाइ, उवेहमाण; अणुवे०; अणुवेआगास आकाश आसा आशा
हाए, उहा; समुप्पेहमाण, समुवेआघवेत्तग आख्यापयितृक आसाय आस्वाद
हमाण, पेहमाण, • मीण; पहाए, आणन्द आनन्द आसु आशु
सॅपेहाए-पेहाए, सपेडिया आणा आज्ञा
आसेवणा आसेवना ईरय् (धातु) रिय, उदीरिय, सआणुगामिय आनुगामिक आसेवणया आसेवनता
मारए
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