Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४ 5 10 15 www.kobatirth.org आधारंग-सुतं अट्ठे व हए व लूसिवा पलिय-पगन्थे अदुवा पगन्थे अहिं 25 सद्द- फासेहिं । इति संखाए एगयरे अन्नयरे अभिन्नाय तिक्खमाणे परिव्वए । जे य हिरी । जे उ अहिरीमाणे चेच्चा सव्वं विसोत्तियं संफासे फासे समिय-दंसणे । ( ३ ) एए भो नगिणा वुत्ता, जे लोगंसि अणागमण-धम्मिणो आणाए मामगं धम्मं, एस उत्तर-वाए इह माणवाणं वियाहिए । एत्थोवर तं झोसमाणे Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयाणिज्जं परिन्नाय परिवारणं विगिञ्च । इहसि एग चरिया होई । तत्थि 'यरा - इयरेहिं कुलेहिं सुद्धे 'सणाए सव्वे'सणाए से मेहावी परिव्वए; ६--३ [ उद्दे० ३. सुभ वा अदुवा दुब्भि अदु वा तत्थ भैरवाः 6 पाणा पाणे किलेसन्ति । ते फासे ' पुट्ठो वीरे' हियासएज्जासि'- त्ति बेमि ॥ ( १ ) एवं खु, मुणी, आयाणं । " या सुक्खाय धम्मे, ' ' विधूय - कप्पे निज्झोसहत्ता ' । जे अचेले परिवुसिए, तस्स भिक्खुस्स नो एवं भवइ : ' परिजुण्णे मे वत्थे; वत्थं जाइस्तामि, सुत्तं जाइस्तामि, सूई जाइस्ता - मि, संधिस्तामि, सिव्विस्सामि, उक्कसिस्सामि, वुक्कसिस्सामि, परिहिस्सा मि, पाउणिस्सामि ' । ( २ ) अदु वा तत्थ परकमन्तं भुज्जो अचेलं तण - फासा फुसन्ति, सीय- फा० 20 फु०, तेओ-फा० फु०, दंसमसग फा० फु० -- एगयरे अन्नयरे विरूव-रूवे फासे अहियासेर अचेले लाघवमागममीणे तवे से अभिसमन्नागए भवइ जहे 'यं भगवया पवेश्यं, तमेव अभिसमेच्चा सव्वओ सव्वयाए समत्तमेव समभिजाणिया । एवं तेसि महावीराणं चिर-रायं पुव्वाई वासाई रीयमाणाणं दवियाणं पास' हियासिय; आगय-पन्नाणा किसा बाहा भवन्ति पयणुए य मंस - सोणिए । वणी - परिन्नाय एस तिष्णे भुत्ते विरए वियाहिए ―त्ति बेमि । ( ३ ) विरयं भिक्खु रीयन्तं चिर- राओसियं अरई तत्थ किं विधारए ? संघेमाणे समुट्ठिए; जहा से दीवे असंदी एवं से धम्मे आरिय- देसिए । 30 अवखमाणा अणइवाएमाणा दइया मेहाविणो पण्डिया । एवं तेसि भगवओ अणुट्ठाणे । जहा से दिया- पोए, एवं ते सिस्सा दिया य राओ य अणुपुव्वेण वाइय-ति बेमि ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68