Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उद्दे० ४-५. ] अट्ठम अझयणं २९ गाम-धम्मा उब्जाहन्ति, सीय- फासं च नो खलु अहं संचाए म अहियासेत्तए । नो खलु मे कप्पर अगणि-कायं उज्जालेत्तए वा पज्जालेत्तए वा कार्य आयावेत्तए वा पयावेत्तए वा, अन्नेसिं वा वयणाओ " । सिया से बं वयन्तस्त परो अगणि-कार्य उज्जालेत्ता कार्य आयावेज्जा वा पयावेज्जा वा । तं च भिक्खू पडिलेहाए आगमेत्ता आणवेज्जा अणासेवणाए - तिबेमि || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८-४ ( १ ) जे भिक्खू तिहिं वत्थेहिं परिवुसिए पाय - चउत्थेहिं, तस्स णं नो एवं भवइ : 5 ' चउत्थं वत्थं जाइस्साभि ' । से अहेसणिज्जाई वत्थाई जाएज्जा, अहा- परिग्गहियाई वत्थाई धारेज्जा, नो धोवेज्जा नो रएज्जा, नो धोय - रताई वत्थाई घारेज्जा, अपलिउच्चमाणे गामन्तरेसु ओमचेलिए । एयं खु वत्थ-धारिस्त सामग्गियं । अह पुण एवं जाणेज्जा : ' उवाइक्कन्ते खलु हेमन्ते, गिम्हे पडिवन्ने, ' अहा परिण्णारं वत्थाई परिवेज्जा, अहा- परिजुष्णाई वत्थाई परिठवेत्ता अदुवा सन्तरुतरे अदु वा ओमचेलिए अदु वा एग-साडे अदु वा अचेले 10 लाघवयं आगमम तवे से अभिसमन्नागए भवइ । जहे यं भगवया पवेइयं तमेव अभिसमेसव्वओ सव्वयाए समत्तमेव समभिजाणिया । ( २ ) जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ : 6 पुट्ठो खलु अहमंसि, नालं अहमंसि सीयफास अहियासेतर 'से वसुमं सव्व- समन्नागय - पन्नाणेणं अम्पाणेणं केइ अकरणाए आउट्टे, तवसिणो हु तं सेयं जं सेगे विमाइए । तत्थावि तस्स काल-परियार, से वि तत्थ वियन्त - कारए । इच्चेयं विमोहाययणं हियं सुहं खमं निस्सेसं आणुगामियं - तिमि ॥ www. ( १ ) जे भिक्खू दोहिं वत्थेहि परिवुसिए पाय - तइएहि, तस्स णं नो एवं भवइ तइयं वत्थं जाइस्सामि' । से अहेसणिज्जाई वत्थाई जाएजा ( यथा ६-१३, मवरं अदु वा सन्तरुतरे पाठो वर्जनीयः, तथा वत्थधारिस्स स्थाने तस्स भिक्खुस्स पाठः पठनीय : ) 20 एवं भवइ : ' पुट्ठो अबलो अहमंसि, नालमहमंसि गिहन्तर-संक्रमणं भिक्खायरियं गमणाए, ' ( २ ) से एवं वय तस्स परो अभिहडं असणं वा ४ आहट्टु वलएज्जा; से पुव्वामेव आलोएज्जा : “ आउसन्तो गाहावई ! नो खलु मे कप्पर अभिहडे असणे बा ४ भोतए ना पायए वा अन्ने वा तहप्पगारे " । For Private And Personal Use Only 15 .... ( ३ ) जस्स णं भिक्खुस्स अयं पगप्पे: - ' अहं च खलु पडिन्नतो अपडिन्नतहिं, 25 गिलाणो अगिलाणेहिं अभिकख - साहम्मिएहिं कीरमाणं वेयावडियं साइज्जिस्सामि, अहं चावि खलु अपडिन्नत्तो पन्नित्तस्स अगिलाणो गिलाणस्स अभिकख - साहम्मियस्स कुज्जा वेयावडियं करणाए : ( ४ ) ' आहद्दु परिन्नं आनक्खेस्सामि आहडं च साइज्जिस्सामि, आ० प० आ० आ० च नो सा०, 'आ० प० नो० आ० आ० च सा०, • नो आ० आ० च आ०

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