Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयारंग-सुतं [उद्दे०२ 15 ३-२ १. जाई च बुद्धिं च इह'ज्ज पास, भएहिं सायं पडिलेह जाणे; तम्हा'इविज्जो 'परमं' ति नच्चा सम्मत्त-दंसी न करेइ पावे ॥ २. उम्मुञ्च पासं इह मच्चिएहिः आरम्भ-जीवी उभयाणुपस्सी कामेसु गिद्धा निचयं करेन्ति, संसिच्चमाणा पुनरेन्ति गब्भं ॥ ३. अवि से हासमासज्ज ' हन्ता नन्दी' ति मन्नइ । अलं बालम्स संगेण, वेरं वड्डइ अप्पणो । ४. तम्हा' इविज्जं 'परमं ' ति नच्चा आयक-दंसी न कोइ पावं; अगं च मुलं च विगिच्च धीरे पलिच्छिन्दियणं निकम्म-दंसी ॥ (१) एस मरणा पनुच्चइ, से हु दिट्ठ-भए मुणी; ___ लोगसि परम-दंसी विवित्त-जीवी उवसन्ते समिए सहिए सया जए कालखी परिव्वए। बहुं च खलु पावं कम्मं पगडं। 20 सच्चम्मि घिई कुव्वहा । एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावं कम्मं झोसेइ । (२) अणेग-चित्ते खलु अयं पुरिसे : से केयणं अरिहइ पूरइत्तए, से अन्न-वहाए अन्न-परियावाए अन्न-परिगहाए, जणवय-वहाए जणवय-परियावाए जणवय-परिग्गहाए । (३) आसेवित्ता एयम8 इच्चेवेगे समुट्ठिया; तम्हा तं बिइयं नो सेवए निस्सारं पासिय नाणी । उववायं चवणं नच्चा अणन्नं चर माहणे । से न छणे न छणावए छणन्तं नाणुजाणए । निम्विन्द नान्द अरए पयासु अणोमदंसी 30 निसण्णो पावहिं कम्महि । ५ कोहाइमाणं हणिया य वारे, ___ लोभस्स पासे निरयं महन्तं; तम्हा हि वीरे विरओ वहाओ 25 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68