Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ सत्य आधुनिकता के संदर्भ मे 'सत्य' पर विचार किया जा सकता है। भविष्य के सत्य की कल्पना हमें वर्तमान सत्य के आधार पर ही करनी पडेगी। प्रश्न होगा कि क्या वर्तमान में सत्य की उपलब्धि हो गई है ? निश्चित उत्तर देना कठिन है किन्तु ज्ञान एवं विज्ञान की जितनी शाखाएं हैं, उन सब का उद्देश्य अपने आप में सत्य के निकट पहुँचना ही है और इस अर्थ में ज्ञान एवं विज्ञान की जो भी वर्तमान उपलब्धियाँ हैं, उन्हीं को हम वर्तमान सत्य के रूप में स्वीकार करेंगे। इन उपलब्धियों के सन्दर्भ में ही वर्तमान सत्य की मीमांसा की जा सकती है और इसी के आधार पर आधुनिक जीवन की कल्पना की जा सकती है। इसी सन्दर्भ में सत्य की व्याख्या करने का अल्प प्रयास किया जा रहा है और सत्य की इस व्याख्या से भविष्य के सत्य का अनुमान किया जा सकता है । प्रश्न होगा कि सत्य अपने आप में सत्य होता है, हम उसे पूर्ण सत्य कहेंगे और उसके साथ वर्तमान, प्राचीन या आगत शब्द जोड़ना या इन सन्दर्भो में सत्य को परखना कहाँ तक समीचीन होगा ? जो सत्य नहीं है, वह असत्य है और जो असत्य नहीं है, वह सत्य है। इन प्रश्नों और उत्तरों को सहज रूप में परखने और उनकी उचित मीमांसा करने के लिये अनेक पृष्ठ रंगने पडेंगे । निबन्ध को दार्शनिक रूप देना भी ठीक नहीं ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93