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आधुनिकता और राष्ट्रीयता रहता है । किन्तु जो राष्ट्र स्वतंत्र हो गया है उसके लिए अतीत अधिक आकर्षक नहीं होता. स्वतंत्र राष्ट्र का लक्ष्य नवनिर्माण की ओर होता है, उसका ध्यान वर्तमान पर अधिक केंद्रित होता है। भारतवर्ष स्वतंत्र है और उसका ध्यान नवनिर्माण की ओर है। इस दृष्टि से उपलब्धियाँ कम नहीं हैं। इन पच्चीस वर्षों में भारत का कायापालट हुआ है। इन उपलब्धियों में वैज्ञानिक उपलब्धियाँ भी हैं। निर्माण कार्य जारी है। इन सब का सम्बन्ध राष्ट्रीयता से है। उपलब्धि है तो राष्ट्रीय है और इसी तरह हानि है तो वह भी राष्ट्रीय है। हानि-लाभ का लेखा-जोखा प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है और इससे हमारी राष्ट्रीय प्रगति का ज्ञान होता है। कहना यह है कि प्रगति का यह ज्ञान हमारी राष्ट्रीयता को दृढ करनेवाला हो। हमारी यह राष्ट्रीयता विश्व के अन्य राष्ट्रों के संदर्भ में एक प्रबल व्यक्तित्त्व का रूप ले और इससे प्रत्येक नागरिक में आत्मसम्मान का भाव बढे । नागरिकों में राष्ट्रीय बोध जितना व्याप्त होगा, उतनी ही हमारी राष्ट्रीयता दृढ होगी ।
इधर जब से राष्ट्र स्वतंत्र हुआ है तब से राष्ट्रीय उपलब्धियों एवं ऐतिहासिक ज्ञान ( राष्ट्रीय जागरण का इतिहास एवं वर्तमान राष्ट्रीय विकास का ज्ञान ) की ओर ध्यान दिया जा रहा है। यहीं पर एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न उपस्थित होता है और वह यह कि यह ऐतिहासिक ज्ञान अखिल भारतीय स्तर पर एक रूप में एवं राष्ट्रीय संदर्भ के रूप में दिया जा रहा है या नहीं ? राष्ट्रीयता का सम्बन्ध ऐतिहासिक बोध से होता है । राष्ट्रीयता में अन्तर आने का ( देश के नागरिकों के बीच ) एक बड़ा कारण यह भी है कि हमारा ऐतिहासिक बोध, राष्ट्रीय बोध से भिन्न है। राष्ट्र का नागरिक अपने ही देश के इतिहास को एकता की दृष्टि से अनुभव नहीं करता। यों कहिये कि नागरिकों में इतिहास के आधार पर वह सामान्य भावभूमि तैयार नहीं हो पाती जिससे राष्ट्रीयता मजबूत हो सकती। अतः इस दिशा में प्रयत्न होना आवश्यक है।
इतिहास में राजनैतिक व्यवस्थाओं का तथ्यात्मक आकालन होता है। वह विवरण होते हुए भी राष्ट्रीयता का आधार है। अतः इस प्रकार के ज्ञान की उपेक्षा कोई भी राष्ट्र अपने हित को दृष्टि में रहते हए नहीं कर सकता। यह ज्ञान ऐतिहासिक बोध को समृद्ध करता है। किन्तु आज का विश्व वैज्ञानिकता के कारण छोटा होता जा रहा है और सम्बन्ध ( एक राष्ट्र का दूसरे राष्ट्र से ) बढते ही जा रहे हैं। अत: राष्ट्र का इतिहास ज्ञान विश्व के ऐतिहासिक ज्ञान के संदर्भ में जानना आवश्यक हो रहा है । अतः राष्ट्रीयता ( किसी