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आधुनिकता और राष्ट्रीयता
प्रश्न केवल आन्ध्रप्रदेश के विभाजन का अन्य प्रदेश भी इस प्रकार की माँग कर सकते हैं। और जिस तरह भारतवर्ष देशी राज्यों के समय में (ब्रिटिश काल में ) अनेक भागों में विभाजित था उस विभाजन को (अपने पुराने इतिहास को यादगार को जिलाए रखने की भावना से) प्रोत्साहन मिलना उचित है या नहीं, यह प्रश्न है। यह बात निश्चित है कि प्रत्येक प्रकार के विभाजन की माँग के पीछे कोई न कोई तत्त्व है और यह सम्बन्धित स्थान के इतिहास से निष्पन्न है। यह सोचना कि देशी राज्यों के इतिहास को जनता भल गई है. यह गलत है। अवसर पाकर विभाजन की प्रवृत्ति ऐतिहासिक कारणों से पनपती दिखलाई देती है। यह स्थिति केवल आन्ध्रप्रदेश में ही नहीं अन्य स्थानों पर भी निष्पन्न हो सकती है। इस सब के लिए आवश्यकता इस बात की है कि इतिहास-बोध बदलने का प्रयत्न हो। इतिहास-बोध और राष्ट्रीयता
राजनैतिक विभाजन की बात तब पैदा होती है, जब इतिहास को विभाजित रूप में (विभिन्न इकाइयों के रूप मे) पढ़ा जाता है । राष्ट्र जब एक है, तो उसका राजनैतिक इतिहास भी एक है । इस बोध के आधार पर इतिहास पढ़ा जाना चाहिए । भारतवर्ष एक राष्ट्र है और उस राष्ट्र का भौगोलिक क्षेत्र राजनैतिक दृष्टि से एक है । इस दृष्टिकोण को सर्वोपरि रखते हुए सारे देश में इतिहास के प्रति समान दष्टिकोण के अपनाए जाने की आवश्यकता है । इतिहास-बोध में विभाजन की प्रवृत्ति कार्य कर रही है तो अवसर पाकर वह प्रवत्ति राजनैतिक समस्या का रूप ग्रहण करेगी। अतः समस्या उत्पन्न होने से पहले हो इतिहास के कारण जहाँ जहाँ विभाजन की प्रवृत्तियाँ दृष्टिगोचर हो रही हैं, वहाँ वह पर इस प्रवृत्ति को बदलने के लिए ऐतिहासिक ग्रंथों को राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जनसमूह के सामने इस रूप में रखने की आवश्यकता है, जिससे राष्ट्र एकता की दिशा में आगे बढे । ब्रिटिश काल में, ब्रिटिश भारत और देशी राज्यों की राजनैतिक स्थिति अलग-अलग रही है । इस अलगाव के कारण ब्रिटिश सत्ता ने यह अनुभव किया कि इस आधार पर भारतवर्ष में देशी राज्यों की सत्ता को बनाये रखना ब्रिटिशों के हित में है। सर जान मालकम ने कहा है -- " अगर हम सारे हिन्दुस्तान के अंगरेजी जिले बना दें तो कुदरती तौरपर हमारे साम्राज्य का पचास साल भी टिकना सम्भव न होगा । लेकिन अगर हम कुछ देशी रियासतें, बिना किसी तरह की राजनैतिक सत्ता के अपने साम्राज्य के औजारों की तरह कायम रख सकें तो हम तब तक हिन्दुस्तान पर अपनी हुकूमत कायम रख सकेंगे जब तक