Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 88
________________ आधुनिकता और राष्ट्रीयता अधिक प्रोत्साहन जनमत के कारण प्राप्त नहीं हो सका । सब राज्यों में सभी धर्म के लोग रहते हैं और भारतीय संविधान में सब को नागरिक अधिकार प्राप्त हैं। अतः इस आधार पर राजनैतिक विभाजन नहीं हुआ। अपने अपने धर्म को मानने की स्वतंत्रता सब को प्राप्त है। धर्म जनसमुदाय को एक व्यवस्था में जोड़ने का प्रमुख आधार होने के कारण कभी-कभी ये भाव पनप जाते हैं और इससे राष्ट्रीयता खण्डित होती हैं। इसी आधार पर ( एक धर्म में विश्वास करनेवाले ) विभिन्न राष्ट्रो में रहने पर भी विभिन्न देशों के नागरिक अपने को एक अनुभव करते हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसका प्रभाव विश्व के सभी राष्ट्रों पर हैं और जो राष्ट्र धर्म को अपना प्रमुख अंग मानते हैं, उनकी समस्याएँ भिन्न हैं । यहाँ कहना यह है कि धर्म के आधार पर देश का राजनैतिक विभाजन उचित नहीं। गान्धीजी ने इसीलिए प्राण दिए । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीयता शासन-व्यवस्था से अधिक प्रभावित होती है और इसी तरह राजनैतिक विचारधारा का भी उस पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव है। उदाहरण के लिए जनतंत्र की व्यवस्था जिन राष्ट्रों में है, उनसे भारत की राष्ट्रीयता अपना निकट सम्बन्ध रखना पसन्द करेगी। विश्व इस समय राजनैतिक विचारधारा की दृष्टि से दो भागों में बंटा हुआ है । जनतंत्र विचारधारावाले राष्ट्र अलग हैं और साम्यवादी विचारधारावाले राष्ट्र अलग हैं। इनके अतिरिक्त बहुत से राष्ट्रों में मध्यकालीन राजतंत्र हैं, कहीं कहीं सैनिक तंत्र भी हैं। किन्तु राजतंत्र और सैनिक तंत्र दोनों ही राजनैतिक विचारधारा के कम से कम जाग्रत राष्ट्रों के प्रमुख अंग नहीं हैं। जनतंत्रात्मक विचारधारावाले राष्ट्रों में नागरिकों को विचारस्वातंत्र्य के अधिकार प्राप्त हैं और वहाँ विभिन्न प्रकार की राजनैतिक पार्टियाँ समान रूप से अधिकारों का उपयोग कर सकती हैं और इसीलिए विचारों में मतभेद होते हुए भी जनमत का प्रभाव उन राष्ट्रोंपर बना रहता है और इस दृष्टि से इस व्यवस्थावाले राष्ट्रों की राष्ट्रीयता आपस में निकट का सम्बध अनुभव करती है। इसके विपरीत साम्यवादी राष्ट्र हैं। इसका जबरदस्त प्रभाव रूस-चीन में दिखलाई दे रहा है। विचारों में इनमें दृढ़ता है और विरोधी दल की व्यवस्था इनमें नहीं है। यह समझा जाता रहा कि साम्यवादी नीति सब राष्ट्रों में एक रहेगी और इनका विश्व संगठन दृढ़ रहेगा किन्तु इधर रूस-चीन के सम्बन्धों को देखकर साम्यवाद में भी नीति की दृष्टि से अन्तर दिखलाई दे रहा है। भारतवर्ष में इन राष्ट्रों की विचारधारावाले लोग और इनसे सम्बन्धित राजनैतिक पार्टियाँ हैं अतः हमारी राष्ट्रीयता इनसे भी प्रभावित होती है। किन्तु भारत में इनको जो अधिकार प्राप्त है, वह

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