Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 61
________________ साहित्य FG ५. राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य निर्माण के प्रति उद्बोधन का भाव ' उसमें होता है। ६. राष्ट्रीय साहित्य में प्रधानतः आत्मसम्मान का भाव होता है और वह उस भाव को जाग्रत करना चाहता है ७. राष्ट्रीय साहित्य में देश या जाति को संगठित करने की शक्ति होती है-वह सांस्कृतिक भावना को उभार कर कर्म करने की प्रेरणा देता है। ८. साहित्यिक दृष्टि से राष्ट्रीय साहित्य वीररस प्रधान होता है ९. अभिव्यक्ति कौशल की दृष्टि से यह साहित्य भाषण कला के समान उद्बोधनात्मक होता है। राष्ट्रीय साहित्य बनाम वीररस का साहित्य राष्ट्रीय साहित्य की एक बडी विशेषता है सामूहिक उत्थान के लिए कर्म करने की प्रेरणा देना । कर्म के लिए उत्साह की आवश्यकता है। उत्साह वीर रसका स्थायी भाव है । अतः राष्ट्रीय साहित्य वीररस का साहित्य होता है। राष्ट्रीय साहित्य में देश प्रेम की भावना प्रबल होती है, अतः इस प्रकार के साहित्य में जहाँ देश के गौरव का गान होगा, उसकी गरिमा का वर्णन होगा, वहां श्रद्धा और भक्ति की व्यञ्जना होगी। इसी तरह जहाँ देश की दयनीय अवस्था का वर्णन होगा वहाँ करुणा की व्यञ्जना होगी। किन्तु इस प्रकार के वर्णनों के पीछे भी कवि का मूल उद्देश्य कर्म की प्रेरणा ही है क्यों कि कर्म समाज का पोषक है। अतः राष्ट्रीय साहित्य मूलत: वीर रस का साहित्य ही होता है। और रसों का वर्णन आनुषंगिक रूप में हो सकता है। राष्ट्रीय साहित्य में जहाँ भी देश पर मर मिटने की, देश के उद्धार या कल्याण की भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है, वहाँ उत्साह की प्रधान रूप से अभिव्यक्ति होती है। हाँ, एक बात ध्यान देने योग्य है—वीरता के वर्णन में अर्थात् उत्साह या कर्म में-देश के उद्धार की या सामूहिक उत्थान की या राष्ट्र की उन्नत भावना का होना आवश्यक है । तभी वीर रस का साहित्य राष्ट्रीय साहित्य कहलाएगा। क्या राष्ट्रीय साहित्य सामयिक साहित्य है ? राष्ट्रीय साहित्य समय की आवश्यकता से लिखा जाता है, इस दृष्टि से इसे सामयिक साहित्य के अन्तर्गत रखा जा सकता है। उसका मूल्य अपने .

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