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साहित्य
राष्ट्रीय भावनाओं को व्यक्त करने वाला साहित्य, राष्ट्रीय साहित्य कहलाता है। इस प्रकार के साहित्य में देश प्रेम की भावना प्रबल होती है। क्षेत्र के प्रति रागात्मक भाव की अभिव्यक्ति इस प्रकार के साहित्य में होती है और इस तरह की रचनाएँ विशेष प्रकार की परिस्थितियों में लिखी जाती हैं। जब तक किसी जाति या संस्कृति का अन्य जाति या संस्कृति से संघर्ष नहीं होता तब तक इस प्रकार की रचनाएँ नहीं लिखी जाती। ऐसी स्थिति में जाति को एक करने के लिए देश की सभ्यता और संस्कृति का गुणगान कर उसके प्रति जन-जीवन में मोह पैदा किया जाता है और उसकी सुरक्षा में सामूहिक हित या कल्याण का भाव रखते हुए-जो आगे बढ़ता है, संघर्ष करता है और विजयी बन जाता है, वह जनता का श्रद्धा भाजन बन जाता है। राष्ट्रीय साहित्य में इसी प्रकार की चेतना का भाव होता है । साधारणतः राष्ट्रीय-साहित्य का यही अर्थ लिया जाता है। वीरों का गान, युद्ध-गीत, आत्मबलिदान की. गाथाएँ, संस्कृति और सभ्यता का गुणगान, मातृभूमि के प्रति प्रेम की भावना के गीत आदि राष्ट्रीय साहित्य के अतर्गत आ सकते हैं।
राष्ट्रीय साहित्य में परम्परा के प्रति मोह होता है। वह वर्तमान की अपेक्षा भूत की अधिक चिन्ता ही नहीं करता बल्कि उसकी सुरक्षा का आग्रह भी करता है। राष्ट्रीय साहित्य एक
आ. रा.-५