Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ समस्याएँ (भारत की भौगोलिक सीमाओं के भीतर ही) कर सकें। यदि इस रूप में उसके (नागरिक के) अधिकारों में स्थान बदलने से (भारत के भीतर ही) अन्तर आता है तो यह असुरक्षा की भावना राष्ट्रीय एकता के लिए बहुत बडी बाधा है। प्रश्न यह है कि क्या आज भारत के नागरिकों की यह स्थिति है अर्थात् स्थान बदलने पर (भारत के भीतर ही) वे अपने को सुरक्षित अनुभव करते हैं ? लंका में रहनेवाले भारतीय, या बर्मा में रहनेवाले भारतीय या पाकिस्तान में रहनेवाले भारतीयों के सम्बन्ध में यदि कोई प्रश्न उपस्थित हो तो यह बात समझ में आ सकती है क्यों कि लंका, बर्मा या पाकिस्तान की भौगोलिक सीमाएं अलग हैं और वहाँ की शासन व्यवस्था अलग है। किन्तु भारतवर्ष में इस प्रकार की भावना फैलने लगी तो राष्ट्रीय एकता खतरे में है, यह कहना पडेगा। एक प्रान्त का व्यक्ति दूसरे प्रान्त में सुरक्षा की भावना से रह सके, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। समय रहते देश के नेताओं एवं कर्णधारों से यह अपेक्षा की जा सकती है कि राष्ट्रीयता के इस प्रश्न चिन्ह को और अधिक प्रबल रूप ग्रहण करने से पूर्व ही शान्त करने का प्रयत्न करेंगे। किसी राष्ट्र का राजनैतिक विभाजन जिन आधारों पर होता है, वे आधार राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माने जा सकते हैं। भाषाओं के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया और इस पुनर्गठन के पीछे एक बड़ा उद्देश्य यह था कि एक भाषा बोलनेवाले अलग प्रान्त बना लेंगे और वहाँ के नागरिक उस भाषा के माध्यम से एक होकर रहेंगे। शासन व्यवस्था में इससे सुविधा हो सकती है। निश्चित ही इस प्रकार देश का राजनैतिक विभाजन करते समय भाषा को राष्ट्रीय एकता का आधार माना गया है। महाराष्ट्र, आन्ध्र, तमिलनाड, गुजरात, केरल, मैसूर, (कर्नाटक), उडीसा, बंगाल, आसाम, कश्मीर, पंजाब आदि प्रान्तों की भाषाएँ अलग अलग हैं। ये सभी प्रान्त भारत की सीमाओं को छूनेवाले प्रान्त हैं । मध्य प्रदेश की भाषा हिन्दो है। और इस दृष्टि से भाषा के आधार पर इन प्रान्तों का ( राज्यस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश ) विभाजन नहीं किया गया। राजनैतिक विभाजन में कुछ प्रान्त ऐसे भी रह जाते हैं, जहाँ सीधे केन्द्र से शासन होता है और राजनैतिक व्यवस्था की दृष्टि से अभी वहाँ स्थिति संतोषजनक नहीं है। विशेष रूप से सीमाप्रान्तों के सम्बध में यह बात कही जा सकती है । नागालैण्ड, गोवा, पाण्डिचेरी, आसाम का कुछ भाग और इसी तरह कश्मीर भी अन्य राज्यों की तुलना में विशेष स्थिति रखते है । कहना यह है कि भारत के राज्यों में राजनैतिक विभाजन अब भी एकरूप

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93