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धर्म और मूल्य उनसे सम्बद्ध होकर ही राष्ट्रीयता जनजीवन में आस्था का निर्माण कर सकती है। धर्म-निरपेक्षता का अर्थ धर्मरहित होना न हो। धर्म-निरपेक्षता का अर्थ भी धर्म के सामान्य मूल तत्वों से हो, उन मूल तत्त्वों से जो सब धर्मों से सम्बद्ध हैं। सापेक्ष धर्म नीति राष्ट्रीयता के लिये हानिप्रद है उसी तरह निरपेक्ष नीति भी हानिप्रद हो सकती है । इस निरपेक्षता से बच्चे के लिए तटस्थता की नीति के बजाय धर्म के सामान्य तत्त्वों के आधार पर आस्था के निर्माण की आवश्यकता है। भारतवर्ष ने इन पच्चीस बरसों में जो सफलताएं अजित की हैं, उसके पीछे धर्म-निरपेक्ष नीति है और इस नीति की सफलता का सब से बड़ा उदाहरण बंगला देश का निर्माण है। इस सत्य को विश्व के अन्य राष्ट्र अब स्वीकार कर रहे हैं।