Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 65
________________ इतिहास राष्ट्रीय भावना का उदय विश्व के इतिहास में सर्वप्रथम भारत में ही हुआ । राष्ट्र का सब से प्रथम उपादान है भौगोलिक सीमा का ज्ञान और उसके प्रति अनुराग । ये दोनों ही बातें हमें प्राचीन साहित्य में मिलती हैं, जो तत्कालीन राष्ट्रीय भावना को व्यक्त करती हैं । भारत के प्रायः सभी लोग देश की भौगोलिक एकता को स्वीकार करते थे । राधाकुमुद मुकर्जी ने लिखा है-- “एक जाति के रूप में भारतवासियों ने अपने मातृदेश के भौतिक व्यष्ठित्व को बहुत पहले अनुभव कर लिया था । उन्हें वह आवश्यक मूर्त आधार पहले ही प्राप्त हो चुका था जिस पर राष्ट्रवाद की भावना का निर्माण किया जा सकता था । " १ भौगोलिक एकता का अनुभव करते हुए यहाँ के निवासी अपनी मातृभूमि से प्रेम करते थे । स्वयं अथर्ववेद में मातृभूमि के प्रति ६३ भावुकतापूर्ण प्रार्थनाएं हैं। देशानुराग देशभक्ति की भावना तो थी ही इसके साथ-साथ इस देश के निवासियों मे आत्मसम्मान का भाव भी था । राष्ट्रीय भावना में आत्मसम्मान का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यही भावना उनमें और भावनाओं को बल देती है । राधाकुमुद मुकर्जी मनुस्मृति का आधार देते हुए लिखते हैं- हिन्दू अपने अन्तस्तल में यह विश्वास करते हैं कि उनका देश ईश्वर द्वारा विशेष रूप से चुना गया देश है, जहाँ लोग अंतिम मोक्ष के योग्य बनने के लिये पैदा होते हैं। यह उस विषय में १. हिन्दू संस्कृति में राष्ट्रवाद - राधाकुमुद मुकर्जी -- पृ. ४८ । 18

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