Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ नैतिकता चरम परिणति इसी में है । सहज प्रवृत्तियों से ऊपर उठने के लिए हमें बौद्धिक जीवन में प्रवेश करना पड़ता है किन्तु बुद्धि तर्कप्रधान होती है अतः उससे भी ऊपर हमें आत्मिक जीवन की ओर उठना पड़ता है। नैतिकता हमें अनेकता में एकता के सूक्ष्म सूत्रों का ज्ञान कराती है और हमें भावना के उस स्तर तक पहुँचा देती है जहाँ हम जगत को -- सियाराममय देखने लगते हैं । ३७ ( 'जैन ज्योत्स्ना', शास्त्रीजी स्मृति-अंक २ अक्तूबर १९६६, हैदराबाद में इसी शीर्षक से प्रकाशित )

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93