Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 54
________________ ५८ आधुनिकता और राष्ट्रीयता को प्रतिबद्ध मानता भी है । धर्म के इस व्यापक और व्यावहारिक उपयोग को देखकर कोई भी राजनैतिक शक्ति यदि उसे अपनी शक्ति को बनाये रखना है, तो इस शक्ति की उपेक्षा नहीं कर सकती। इस स्थिति में धर्म का प्रभाव राष्ट्र के ऐतिहासिक - बोध को सीधा प्रभावित करता रहता है, यह माना जा सकता है । यहीं पर राजनैतिक व्यवस्था पर विचार किया जा सकता है। राजनैतिक व्यवस्था ( सरकार कोई भी हो ) जिस आधार पर चलती रहती है, उससे राष्ट्रीयता प्रभावित होती है । राजतंत्र सैनिकतंत्र अथवा लोकतंत्र हो, साम्यवादी तंत्र या अन्य किसी प्रकार का तंत्र हो, सभी स्थितियों में राष्ट्रीयता अलगअलग होगी । प्रत्येक तंत्र के अपने गुण-दोष हैं, जिनसे राजनीति के विद्यार्थी अच्छी तरह परिचित हैं। राष्ट्रीयता के संदर्भ में तंत्रविशेष का उल्लेख इसलिए आवश्यक है क्यों कि राष्ट्रीय नीति का निर्धारण इस तंत्र के विधान के 'अनुसार होता है । किसी राष्ट्र की सारी प्रवृत्तियाँ राजनैतिक प्रवृत्तियों से परिचालित रहती हैं किन्तु राष्ट्र की राजनैतिक प्रवृत्तियाँ राष्ट्र की अन्य प्रवृत्तियों (राष्ट्र के भीतर की अन्य प्रवृत्तियों) का परिणाम होती हैं । ऐसी स्थिति में किसी राष्ट्र के भीतर यदि राजनैतिक परिवर्तन होता है, तो यह परिवर्तन राष्ट्रीय परिवर्तन के रूप में देखा जाता है । बंगला देश के निर्माण में बंगला देश के भीतर चल रहे राजनैतिक संघर्ष का परिणाम है । पाकिस्तान का इतिहास बतलाता है कि पाकिस्तान का राजनैतिक तंत्र वहाँ की जनता को मान्य नहीं रहा । पूर्व और पश्चिम का यह भेद धर्म के आधार पर जुड़ नहीं सका । सैनिक तंत्र से जनता त्रस्त रही और तंत्र बदलने के आश्वासनों का परिणाम विफल देखकर पूर्व बंगाल मुक्त बंगला देश में परिवर्तित हो गया । यह सब लिखने का तात्पर्य यह है कि राष्ट्र के भीतर राष्ट्रीयता को बदलने के लिए ( राजनैतिक व्यवस्था को बदलने के लिए ) संघर्ष चलता रहता है । यह संघर्ष पूरे राष्ट्र के राजनैतिक व्यवस्था को बदलता है और साधारण रूप से सरकार को बदलने पर विवश करता है । अतः प्रत्येक राष्ट्र की सरकार इस बात के लिए प्रयत्नशील रहती है कि सामयिक राजनैतिक समस्याओं का सक्रिय समाधान प्रस्तुत करें । इस समाधान में यदि सरकार विफल हो जाती है तो राष्ट्र के भीतर ही संघर्ष छिड़ जाता है और सरकार इसमें उलझ जाती है । सत्ताधारी ( सरकारी शासन से सम्बन्ध ) शासन को स्थिर बनाये रखने के लिए प्रयत्न करते रहते हैं, जब कि सत्ता से बाहर रहनेवाले लोग शासन को

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