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| धर्म और मूल्य
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धर्म का सम्बध समाज की व्यवस्था से है। धर्म की यह व्यवस्था अधिक व्यापक है और बिना राजनैतिक बंधन के सम्बन्धित समाज में (धर्म विशेष के ) अधिक दृढ़ता से मान्य तथा स्वीकृत है। धर्म का सम्बन्ध एक निश्चित विचारधारा से है और यह विचारधारा एक प्रकार से स्वीकृत विचारधारा है। इस स्वीकृति में विश्वास, श्रद्धा तथा भक्ति का योगदान है। इस योगदान के कारण सम्बन्धित समाज एक प्रकार की व्यवस्था का पालन करता है। व्यवस्था का यह तंत्र (धर्म सम्बन्धी) विश्वास के आधार पर चलता है और इसलिए इस व्यवस्था को परम्परा का बल प्राप्त है। आज भी धार्मिक और राष्ट्रीय दोनों मूल्यों में यदि चुनौती का प्रश्न उपस्थित हुआ तो धार्मिक मूल्य को स्वीकार करने वालों की संख्या विश्व में अधिक मिलेगी। इसका कारण यह है कि राष्ट्रीय मूल्यों का सम्बन्ध राजनैतिक सीमाओं में बद्ध है, जब कि धार्मिक मूल्यों की कोई राजनैतिक सीमाों नहीं है। अमरीकी नागरिक एवं रूसी नागरिक के राष्ट्रीय मूल्य अलग-अलग हो सकते हैं और उन दोनों के धार्मिक मूल्य एक हो सकते हैं। इस अर्थ में धर्म का प्रभाव समाज की व्यवस्था से आज भी घनिष्ट है, ऐसा मानना पडेगा। अधिक विस्तार में जाने से पूर्व धर्म के सामान्य तत्त्व नीचे लिखे जा रहे हैं।