Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 31
________________ सत्य २७ एवं शांति प्रदान नहीं कर सकता । समकालीन इतिहास-बोध की पीड़ा यही है कि आधुनिकता से सम्बन्धित इस 'सत्य' के प्रति आस्था का निर्माण नहीं हुआ है। इस सत्य को आस्था का विषय कैसे बनाया जाए ? यही आज की प्रमुख समस्या है। यहाँ 'सत्य' से तात्पर्य नवीनतम ज्ञान एवं विज्ञान की उपलब्धियों के आधार पर स्वीकृत सत्य से है और इसी को चाहें तो आधुनिक सत्य कहा जा सकता है । इस सन्दर्भ में गांधीजी का उदाहरण लें । गांधीजी ने सत्य का दर्शन किया था और आधुनिक सन्दर्भ में किया था । प्रश्न होगा कि उन्होंने तो बहुत सी वैज्ञानिक उपलब्धियों को अस्वीकार कर दिया था, अतः उनके सत्य को आधुनिक सत्य के सन्दर्भ में कैसे लिया जा सकता है ? गान्धीजी एवं नेहरूजी का विरोध भी इसी आधार पर रहा है। सच बात तो यह है कि गान्धीजी का मूलतः वैज्ञानिक उपलब्धियों से विरोध नहीं था । किन्तु उनका ध्यान समाज ( भारतीय समाज ) के निम्न से निम्न व्यक्ति पर था । उन्होंने सत्य को आधुनिक संदर्भ में इस रूप में परिवर्तन करना चाहा कि देश का सामान्य व्यक्ति जिन वैज्ञानिक साधनों का उपयोग कर सकता है, उसका उपयोग वह मानव होने के नाते मानव बनकर अन्य मानवों के हितों को सन्दर्भ में रखकर करें। उन्होंने वैज्ञानिक उपलब्धियों के स्तर को समाज के निम्न धरातल से स्वीकार किया और जब उन्होंने यह अनुभव किया कि शहर ग्रामों की तुलना में अधिक सभ्य है तो उन्हें ग्राम को शहर बनाने की चिन्ता हुई । यों कहिए कि वैज्ञानिक सत्य को सर्व सुलभ बनाने की भावना उनमें थी और जब उन्होंने अनुभव किया कि देश की जनता को वह सब सुख सुलभ कराना कठिन है तो स्वयं उस प्राप्त सुख को छोड़ा और जो कुछ सर्वसाधारण की पहुँच के भीतर है, उसी को अपने जीवन में स्वीकार कर लिया। उनके बहुत से आन्दोलन इसी अर्थ-व्यवस्था को, जिस का प्रभाव साधारण व्यक्ति से है, को लक्ष्य में रखकर चलाए गए हैं। गान्धीजी ने वैज्ञानिक उपलब्धियों को नकारात्मक रूप में नहीं लिया । उन्होंने उसके व्यावहारिक दर्शन को स्वीकार किया । सत्य के आस्थावादी चिन्तक को गांधीजी के दर्शन से सत्य का व्यावहारिक रूप समझ में आएगा । कहा जाता है कि गांधीजी का युग समाप्त हो गया। नेहरूजी ने भारत को बदल दिया । दोष देनेवाले उन्हें भी दोष दे सकते हैं। राजनीति में आज जो प्रमुख नेता देश की नीति का निर्धारण कर रहे हैं, उसीके आधार पर वर्तमान भारत का रूप बन रहा है और उन्हीं को दृष्टि में रखते

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