Book Title: Aadhunikta aur Rashtriyata
Author(s): Rajmal Bora
Publisher: Namita Prakashan Aurangabad

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Page 35
________________ নবিক आधुनिक सत्य के साक्षात्कार को आस्थामूलक रूप म स्वीकार करना नैतिकता को आधुनिक धरातल पर स्वीकार करना है। नैतिकता वास्तव में मानव प्रकृति को नियंत्रित करनवाली सब से बडी शक्ति है । नैतिकता व्यक्ति और व्यक्ति, व्यक्ति और समाज, व्यक्ति और राष्ट्र यहाँ तक कि व्यक्ति और विश्व को जोड़ने वाले तार हैं । ये एक ऐसी शक्ति है, जो समाज को जीवित रखने के लिए आवश्यक है । नैतिकता की चरम परिणति तुलसी के शब्दों में -- “ सियाराममय सब जग जानी। करौं प्रणाम जोरि जुग पानी।" और कबीर के शब्दों में -- " लाली मेरे लाल की, जित देखौं तित लाल" है। यह शक्ति निरन्तर अभ्यास और साधना से ही प्राप्त हो सकती है । यह एक ऐसी शक्ति है, जो समाज को जीवित रखने के लिए आवश्यक है। व्यक्ति का सम्बन्ध व्यक्ति के साथ किस प्रकार का हो ? समाज में रहते हुए वह अपनी आत्मोन्नति कैसे करें? अपने जीवन को सूख और शान्तिमय किस प्रकार बनाएँ ? इस सम्बन्ध में वह जिस शक्ति का सहारा लेता है, वह नैतिक शक्ति है । वास्तव में जगत नैतिक शक्तियों से बना हुआ है । प्रकृति में जितनी भी शक्तियाँ कार्यरत हैं या घूम रही हैं, वे एकात्मक हैं। उष्णता अलग नहीं है और न प्रकाश ही और न विद्युतशक्ति न ही गुरुत्वाकर्षण शक्ति । ये सब शक्तियाँ एक दूसरे से मिली हुई हैं । यही स्थिति नैतिक शक्तियों की है। वह एक प्रकार से क्रियाओं की प्यास है, हम जितना उसे एकत्रित करेंगे उतने ही उसके रूप और आकार होंगे। आ. रा.-३

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