________________
छोटापन और बडापन
३८७
-
अब अध्यापकने उस मिटाई हुई एक-इची लाइनको फिरसे नोचे बना दिया और सवाल किया कि __ 'तीनो लाइनोकी इस स्थितिमे तुम बीचकी उसी नम्बर १ वाली लाइनको छोटी कहोगे या बडी"
विद्यार्थी-मैं तो अब यूं कहूंगा कि यह ऊपरवाली लाइन न०३ से छोटी अोर नीचेवाली लाइन न० २ से बडी है।
अध्यापक -अर्थात् इसमे छोटापन और बडापन दोनो हैं और दोनो गुण एक साथ है ?
विद्यार्थी-हाँ, इसमे दोनो गुण एक साथ हैं।
अध्यापक-एक ही चीजको छोटी और बडी कहनेमे क्या तुम्हें कुछ विरोध मालूम नहीं होता ? जो वस्तु छोटी है वह बडी नही कहलाती और जो बडी है वह छोटी नही कही जाती। एक ही वस्तुको 'छोटी' कहकर फिर यह कहना कि 'छोटी नही, बडी है' यह कथन तो लोक-व्यवहारमे विरुद्ध जान पडेगा। लोकव्यवहारमे जिस प्रकार 'हाँ' कहकर 'ना' कहना अथवा विधान करके निषेध करना परस्पर विरुद्ध,असगत और अप्रामाणिक समझा जाता है उसी प्रकार तुम्हारा यह एक चीज को छोटी कहकर बडी कहना अथवा एक ही वस्तुमे छोटेपनका विधान करके फिर उसका निषेध कर डालना-उसे बड़ी बतलाने लगना--क्या परस्पर विरुद्ध, असगत और अप्रामाणिक नही समझा जायगा? और जिस प्रकार अन्धकार तथा प्रकाश दोनो एक साथ नही रहते उसी प्रकार छोटापन और बडापन दोनो गुरणो (धर्मों) के एक साथ रहनेमे क्या विरोध नही आएगा?
यह सब सुनकर विद्यार्थी कुछ सोच-सीमे पड़ गया और मनही-मन उत्तरकी खोज करने लगा, इतनेमे अध्यापकजी उसकी