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बडा दानी कौन?
४०७ का सेठ हो तब भी क्या वह उस दानीसे बडा दानी है जिसने स्वेच्छासे बिना किमी दबावके घायल मैनिकोकी बुरी हालतको देखकर उन पर रहम खाते हए और उनके अपराधादिकी बातको भी ध्यानमे न लाते हुए उनकी मर्हमपट्टीके लिये दो लाख रुपयेका दान दिया है ?'
विद्यार्थी--इन चारोमे बडा दानी चौथे नम्बरका सेठ है, जो दानकी ठीक स्पिरिटको लिये हुए है। बाकी तो दानके व्यापारी हैं। पहले नम्बरके सेठको तो वास्तवमै दानी ही न कहना चाहिये, उससे तो दो लाख रुपयेका अन्त एक प्रकारसे छीना गया है, वह तो दान-फलका अधिकारी भी नहीं है, और इसलिये घायल सैनिकोकी महमपट्टीके लिये स्वेच्छासे दयाभावपूर्वक दो लाखका दान करनेवालेसे वह बडा दानी कैसे हो सकता है ? नहीं हो सकता। ___ अध्यापक-मालूम होता है अब तुम विषयको ठीक समझ रहे हो। अच्छा, दुसरे विकल्पके रूपमे, अब इतना और जानलो कि'चौथे नम्बरका सेठ करोडोकी सम्पत्तिका धनो है, उसके यहाँ प्रतिदिन लाखो रुपयोका व्यापार होता है और हर साल सब खर्च देकर उसे दस लाख रुपयेके करीबकी बचत रहती है। उसने दो लाख रुपयेके दानसे अपना एक भोजनालय खुलवा दिया है, भोजन वितरण करनेके लिये कुछ नौकर छोड़ दिये है और यह प्रार्डर जारी कर दिया है कि जो कोई भी भोजनके लिये प्रावे उसे भोजन दिया जावे, नतीजा यह हुआ कि उसके भोजनालय पर अधिकतर ऐसे सडेमुसडे और गुडे लोगोकी भीड़ लगी रहती है जो स्वय मजदूरी करके अपना पेट भर सकते हैं-दयाके अथवा मुफ्त भोजन पानेके पात्र नही, जो धक्कामुक्की करके अधिकाश गरीब भुखमरोको भोजनशालाके द्वार तक भी पहुँचने नहीं देते और स्वय खा-पीकर चले जाते हैं तथा कुछ भोजन साथ भी ले जाते हैं । और इस तरह जिन गरीबोके वास्ते भोजनशाला खोली गई है उन्हें बहुत ही कम